–आचार्य मोहित पाण्डेय, लखनऊ
मां दुर्गा का सप्तम स्वरूप हैं कालरात्रि माता। मां कालरात्रि को कुछ अन्य नामों से भी जाना है जाता है, उनके अन्य नाम हैं महायोगीश्वरी, महायोगिनी और शुभंकरी। मां कालरात्रि अपने भक्तों को दीर्घायु प्रदान करने के साथ उनकी अकाल मृत्यु से भी रक्षा करती हैं।
मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि की देह घने अंधेरे के सामान काली है। मां जब सांस लेती हैं तो अग्नि ज्वालाएं निकलती हैं। कई दैत्यों का संहार तो उनके मुख से निकलने वाली विकराल अग्नि ज्वालाओं से ही हो चुका है। उनके केश बड़े और उलझे एवं बिखरे हुए हैं। उन्होंने अपने गले में जो माला पहनी हुई है, वह भी बिजली की तरह चमकती है। मां कालरात्रि के चार हाथ और तीन आंखें हैं। एक हाथ में माता में खड्ग (तलवार), दूसरे में लोहे का शस्त्र, तीसरे हाथ वरमुद्रा और चौथे हाथ अभय मुद्रा में है। इतना विकराल स्वरूप होने के बाद भी माता साधु, संतों एवं अपने भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी, ममतामई एवं करुणा का साक्षात स्वरूप हैं।
मां कालरात्रि का कल्याणकारी मंत्र
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।
मां कालरात्रि का एक और सिद्ध मंत्र
‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।’
मां कालरात्रि के अन्य मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
मां कालरात्रि का भोग
मां कालरात्रि को गुड़ अतिप्रिय है। ऐसा माना जाता है कि माता रानी को नवरात्रि के सातवें दिन गुड़ का भोग लगाना अत्यंत शुभ होता है। इससे मां शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों का कल्याण करती हैं। माता की कृपा से भक्त भय मुक्त होकर माता से बेहतर आरोग्य एवं आयुष्य प्राप्त करने के साथ अपने जीवन में धन, यश, गौरव एवं मान सम्मान के साथ ही दुर्लभ पद एवं प्रतिष्ठा को बड़ी ही सरलता से प्राप्त करते हैं।
मां कालरात्रि का प्रिय रंग
मां को लाल रंग अतिप्रिय है। ऐसे में मां कालरात्रि की पूजा के दौरान लाल वस्त्र पहनना शुभ होता है। आज के दिन उन्हें लाल चुनरी चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है।
मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प
मां को लाल गुलाब एवं गुड़हल का फूल बेहद प्रिय है। इसलिए आज के दिन उन्हें लाल गुड़हल एवं गुलाब का पुष्प अर्पित करना शुभ माना गया है। ऐसा करने से मां अपने भक्तों के जीवन में समस्त बाधाओं को दूर कर उनके जीवन को सुख रूपी सुगंध से भर देती हैं।
मां कालरात्रि की कृपा से जागृत हो जाता है सहस्रार चक्र
इस चक्र की जागृति के फलस्वरूप ही माता का दर्शन भी सहजता एवं सरलता से हो जाता है। मां कालरात्रि की साधना के फलस्वरूप सहस्रार चक्र में हलचल होने लगती है एवं अखिल ब्रह्माण्ड के समस्त द्वार अपने आप ही खुलने लग जाते हैं। माता अपने भक्तों को दिव्य दृष्टि प्रदान करती हैं।
मां कालरात्रि अपने भक्तों को देती हैं निर्भयता का वरदान
मां की कृपा से भक्त हर प्रकार के भयों से मुक्त होकर निर्भय बनते हैं। उनके लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता। माता हर पल भक्तों के साथ रहती हैं एवं अपनी ममतामयी उपस्थिति की अद्भुत अनुभूति भी बड़ी ही सहजता एवं सरलता से कराती रहती हैं। माता का साथ होना ही सभी प्रकार की बाधाओं को दूर कर देता है। आज के दिन जो कोई भी भक्त सच्चे मन से मां को याद करता है, मां उसे सपरिवार स्वस्थ, सुखी, समृद्ध एवं भय मुक्त होने के साथ सदैव प्रसन्न होने का वरदान प्रदान करती हैं। माता की कृपा से उनके भक्तों को इस भौतिक संसार में सर्वोच्चता तो प्राप्त होती ही है, इसके साथ ही माता अंगुली पकड़कर अपने भक्तों को इस भव सागर से पार लगाती हैं एवं मोक्ष भी प्रदान करती हैं।
- आचार्य मोहित पाण्डेय, लखनऊ
ज्योतिष विज्ञान एवं भविष्य दर्शन।
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