- आचार्य मोहित पाण्डेय, लखनऊ
(ज्योतिष विज्ञान एवं भविष्य दर्शन)
अगर किसी जातक की कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य स्थित है तो यह इस बात का संकेत है कि आपका स्वभाव स्पष्ट और उदार होगा। इतना ही नहीं ऐसे व्यक्ति के भाई बहन भाग्यशाली होते हैं।
सूर्य के कुंडली में प्रथम भाव में होने से जातक के बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं और उनकी हर बात मानते हैं। ऐसे लोगों का स्वभाव धार्मिक और ईमानदार होगा। साथ ही नैतिकता के दृष्टिकोण से आपका बर्ताव उचित रहेगा।
हालांकि, कुंडली के प्रथम भाव में बैठा सूर्य व्यक्ति को अधिक क्रोधी और उग्र स्वभाव का बना देता है। कई बार इनका व्यवहार ऐसा होता है की लोग इन्हें अविवेकी मान लेते हैं।
सूर्य के पहले भाव में होने पर व्यक्ति में आलस्य का भाव भी देखा जाता है। ये काम को टालने की कोशिश करते हैं लेकिन, एक बार काम शुरू कर दें तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। क्योंकि, इनमें महत्वकाक्षी अधिक होती है। महत्वकांक्षा और प्रभाव दिखाने के व्यक्तित्व के चलते इनके अंदर अंहकार का भाव भी आ जाता है।
सूर्य के कुंडली के पहले घर में यानी लग्न स्थान में होने पर आपका माथा चमकीला होता है और आप तेजस्वी नजर आते हैं। आपका कद भी लंबा होता है। लेकिन कुछ मामलों में सूर्य का किसी व्यक्ति की कुंडली के पहले घर में होना अच्छा नहीं होता। प्रथम भाव में सूर्य के रहने से व्यक्ति गंजा हो सकता है, इनके बाल कम उम्र में ही गिरने लगते हैं। इन्हें आंखों की समस्या हो सकती है।
अगर जीवनसाथी की कुंडली में संतान का योग बहुत अच्छा नहीं हो और आपकी कुंडली में सूर्य सूर्य प्रथम भाव में हो तब बच्चों की संख्या कम होती है। ऐसे लोगों का छोटा परिवार सुखी परिवार वाला मामला होता है।
सूर्य के कुंडली के पहले घर में होने पर व्यक्ति सरकारी नौकरी में हो सकते हैं। ऐसे लोग जहां भी काम करते हैं अपना दबदबा और प्रभाव बनाए रखते हैं। सामाजिक क्षेत्र में भी इनका प्रभाव बना रहता है।
- आचार्य मोहित पाण्डेय, लखनऊ
ज्योतिष विज्ञान एवं भविष्य दर्शन