कब और क्यों मनाई जाती है देवउठनी एकादशी, जानें आचार्य मोहित पांडेय से

धर्म ज्योतिष


प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी के मनाए जाने का विधान है। देवउठनी एकादशी का दिन श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित है। इस बार देवउठनी एकादशी 23 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी।

देवउठनी एकदशी पूजा एवं पारण का मुहूर्त
कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ – 22 नवंबर 2023, रात 11.03

कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का समापन – 23 नवंबर 2023, रात 09.01

पूजा का समय- सुबह 06.50 से सुबह 08.09

रात्रि पूजा का मुहूर्त- शाम 05.25 से रात 08.46

व्रत पारण समय- सुबह 06.51 से सुबह 08.57 (24 नवंबर 2023)

देवउठनी एकादशी का महत्व
इस दिन इस संसार की पालना करने वाले भगवान श्री हरि विष्णु अपनी चार माह की योग निद्रा से उठते हैं। इसलिए ही इसे देवउठनी एकादशी कहा गया है। इसके बाद से हर प्रकार के शुभ एवं मांगलिक कार्य संपन्न होने शुरू हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी का दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। इस अवसर पर भगवान श्री हरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए बहुत से भक्त जन व्रत एवं उपवास रखते हैं एवं पूजा करते हैं। इस दिन सच्ची श्रद्धा, भक्ति, निष्ठा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करने से हर प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि
इस दिन दिन सूर्योदय काल से पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए । श्री हरि विष्णु की मूर्ति के सामने उनके नींद से जागने के लिए प्रार्थना करना चाहिए। शाम के समय में पूजा स्थल पर घी के ग्यारह दीपक देवी-देवताओं के सामने प्रज्ज्वलित करें।
भगवान विष्णु जी को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, जैसे मौसमी फल आदि अर्पित करें। एकादशी की रात एक घी का दीपक जलाएं। अगले दिन एकदाशी समाप्त होने के बाद ही उपवास का पारण करें।

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