- आचार्य मोहित पाण्डेय, लखनऊ
इस बार प्रदोष व्रत 24 नवंबर, शुक्रवार के दिन पड़ेगा। त्रयोदशी तिथि का आरंभ 24 नवंबर को शाम के 07:08 मिनट पर होगा।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव भोले भंडारी जिन्हें हम शिव और शंकर जी के नाम से भी जानते हैं, उनके भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि प्रदोष महादेव से जुड़ा हुआ है। इस दिन भगवान शंकर, देवी पार्वती माता, भगवान गणेश और कार्तिकेय जी के साथ नंदी बाबा की पूजा की जाती है। इस दिन मनाया जाने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा के साथ-साथ त्रयोदशी प्रदोष वाले दिन के संबंधित ग्रह के आशीर्वाद को भी प्राप्त कराता है। ऐसा माना गया है कि जो लोग प्रदोष व्रत एवं पूजन करते हैं उन्हें पूर्व के समस्त पापों, कष्टों एवं है प्रकार की समस्या एवं तनाव से मुक्ति मिल जाती है। दिन के अनुसार, प्रदोष व्रत का महत्व भी भिन्न- भिन्न होता है। जैसे शनि प्रदोष व्रत संतान की प्राप्ति के लिए रखा जाता है वहीं शुक्र प्रदोष व्रत रखने और शिव पूजा करने से पति पत्नी का पारिवारिक जीवन सुखी एवं आनंदमय होता है।
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि आरंभ: 24 नवंबर, शुक्रवार, शाम 07: 08 मिनट पर।
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त: 25 नवंबर, दिन शनिवार, शाम 05:बजकर 19 मिनट पर।
प्रदोष व्रत 2023 पूजन मुहूर्त
24 नवंबर को प्रदोष व्रत, पूजन का शुभ मुहूर्त: शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात के 08 बजकर 07 मिनट तक है।
प्रदोष व्रत पर भगवान शंकर की पूजा के लिए लगभग 1 घंटे का शुभ समय मिलने वाला है।
प्रदोष व्रत के दिन बन रहे हैं ये शुभ योग
नंवबर के अंतिम प्रदोष व्रत के लिए सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, सिद्धि योग और व्यतीपात योग बन रहे हैं। इसमें आरंभ के तीन योग शुभ फलदायी हैं। प्रदोष काल में पूजन के समय सर्वार्थ सिद्धि योग होगा। प्रदोष वाले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन बना है।
अमृत सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 54 मिनट से शाम 04 बजकर 02 मिनट तक है।
सिद्धि योग प्रात:काल से लेकर सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।
उसके बाद से व्यतीपात योग शुरू हो जाएगा।
किस नक्षत्र में होगा प्रदोष
प्रदोष के दिन रेवती नक्षत्र सुबह से लेकर शाम 04 बजकर 01 मिनट तक है। उसके बाद से अश्विनी नक्षत्र होगा।
- आचार्य मोहित पाण्डेय, लखनऊ
ज्योतिष विज्ञान एवं भविष्य दर्शन।

