नरेंद्र मोदी की साधना भारत माता को विश्वमाता बनाएगी : प्रो. रणबीर नंदन

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पटना: पूर्व विधान पार्षद,भाजपा के वरिष्ठ नेता व श्री राम जन्मभूमि के आंदोलन के समय स्थापित श्री राम लोक संघर्ष समिति के प्रखर नेता प्रो रणबीर नंदन ने कहा है कि रामकाज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा धारण किया गया कठोर व्रत यह सिद्ध करता है कि सनातन साधना पद्धति सर्वश्रेष्ठ है। इतिहास में सनातन धर्म पर अत्याचारों की लगभग एक हजार वर्षों की कहानी है। परंतु वह श्रेय तो हमारे वैसे साधकों को जाता है, जिन्होंने सनातन धर्म को बचाने में कठोर साधना कर अपने को बलिदान कर धर्म को बचाया। वैसे ही साधक श्री नरेन्द्र मोदी जी हैं, जो अपने राजनैतिक धर्म, कर्म, आध्यात्मिक साधना की बदौलत आज राम लला के विग्रह का स्थापना कराकर विश्व को मर्यादा पुरुषोत्तम राम के स्वरूप का दर्शन कराएंगे। यह एक संदेश है युवा पीढ़ी सहित तमाम राजनेताओं के लिए कि राजनीति में आध्यात्मिकता के आने से ही जनकल्याण की योजनाएं सफल हो पाती हैं।

प्रो. नंदन ने कहा कि हम सनातनी, राम चरित मानस के रचइता सदगुरु गोस्वामी तुलसीदास द्वारा कहे गए, क्षिती जल पावक गगन समीरा,पंचम तत्व रचित यह अधम शरीरा को मानने वाले हैं,जहां यह शरीर मिट्टी, जल, अग्नि, आकाश, वायु से बना है। निस्प्राण होने के बाद जलकर पुनः इन्हीं पांच तत्वों में मिल जाता है। अतः पूरे विश्व में फैले लगभग 100 करोड़ से भी अधिक सनातनी हिंदुओं ने कभी किसी अन्य देश के भूभाग पर कब्जा नहीं किया, क्योंकि सनातनी जानते हैं कि जब पांच तत्व का शरीर ही नहीं रहेगा, तो किसी भी भूमि पर कब्जा कैसा।

प्रो. नंदन ने कहा कि इसीलिए भारतीय दर्शन श्रेष्ठ है और आज माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने सनातन धर्म में वर्णित भगवद पूजन विधि विधान को अपने शरीर और मन से संकल्प लिया है, वह भारत की राजनीति में मार्गदर्शन सिद्ध होगा की शासक को स्वयं में साधकत्व उत्पन्न करना होगा, तभी भावी पीढ़ी संस्कारयुक्त होगी और भारतमाता को विश्वमाता का दर्जा प्राप्त होगा।

प्रो.नंदन ने कहा कि जब भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने रामकाज़ के लिए 11 दिवसीय राम अनुष्ठान प्रारंभ किया है, तो भारतवर्ष की सभी जनता से अपील है कि दिनांक 22 दिसम्बर को रामलला के विग्रह की स्थापना तक नमक का परित्याग करें और माननीय नरेन्द्र मोदी जी को ऐसे ऐतिहासिक पल हेतु आशिवाद दें। यह आग्रह विशेष रूप से 18 से 45 वर्ष के भारतीय युवाओं से है, जिनकी संख्या 60 प्रतिशत है। वे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन नमक का परित्याग करें और विग्रह की स्थापना तक इसे जारी रखें।

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