मुशहरी प्रखंड के पूर्व CO पर कई गंभीर आरोप, स्थानीय लोगों ने खोली पोल

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मुजफ्फरपुरः ऐसे तो माना जाता है कि भ्रष्टाचार हर जगह व्याप्त है लेकिन अंचल कार्यालय में इसकी बानगी बहुत अच्छे से देखने को मिलती है। जहां जमीन से जुड़े मामलों का समाधान होता है। मुशहरी प्रखंड के अंचल कार्यालय का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहां के सीओ रहे सुधांशु शेखर की प्रखंड में खूब चर्चा है। मनमानी और घुसखोरी उनकी कार्यशैली थी। अब उनका ट्रांसफर किसी और प्रखंड में हो गया है। लेकिन उनके कारनामें अब खुलकर सामने आने लगे हैं। सब खुलकर बोल रहे हैं। पहले भी विरोध होता रहा है, आरोप लगते रहे हैं लेकिन आजतक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जमीन दाखिल खारिज मामले में यहां के लोग सबसे ज्यादा परेशान रहे हैं।

मुशहरी प्रखंड के सीओ रहते सुधांशु शेखर पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। स्थानीय लोगों ने उनका ट्रांसफर हो जाने के बाद आरोपों की झड़ी लगा दी है। लोग उनके काम-काज से कतई खुश नहीं थे। पैसों की उगाही करना उनका पेशा था। एक तरह से वो सिर्फ पैसों के लिए ही काम करते थे। जमीन दाखिल खारिज मामले में सिर्फ उनकी मनमानी चलती थी। सही-गलत का आकलन उनके विचार में था ही नहीं। जिसकी मर्जी किया जमीन दाखिल खारिज करा दिया, नहीं मन किया नहीं कराया। चाहे आपकी कागज लाख सही हो। लोगों के काम को टहलाते रहना उनके बायं हाथ का खेल था। जमीन दाखिल खारिज के मामले में वो सिर्फ अपने लोगों का सुनते थे। एक तरह से कह लीजिए कि जिनसे पैसा ले लिया, उनका काम कर दिया।

सुधांशु शेखर की शिकायत जन प्रतिनिधि से लेकर आमजन तक है। मुशहरी प्रखंड के मरहुआ पंचायत के सरपंच राजेश उर्फ चुन्नु से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि सुधांशु शेखर किसी के कृपा पात्र के कारण यहां इतने लंबे समय से टिके हुए थे। लगभग चार साल से ऊपर का कार्यकाल हो गया था उनका। जमाबंदी के सिस्टम को उन्होंने लकवाग्रत कर दिया।

वहीं सुधांशु शेखर के कार्यकाल के बारे में जब हमने आरटीआई एक्टिविस्ट रजिहशन से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां के अंचल कार्यालय में बहुत बड़ा घालमेल है। हमने आरटीआई के तहत यहां के सीओ रहे सुधांशु शेखर के कार्यकाल के दौरान हुए कार्यों की सूचना प्राप्त करना चाहा और बहुत सारे कागज निकाले के लिए आवेदन दिया था लेकिन यहां से कोई कागज उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है और ना ही कोई सूचना उपलब्ध कराया जा रहा है। आखिर आम जनता की कौन सुनेगा?

जबकि इस संबंध में हमने सीपीआई(एमएल) के जिला सचिव सह प्रहलादपुर पंचायत के मुखिया उदय चौधरी से बात की तो उन्होंने बताया कि पूर्व सीओ सुधांशु शेखर इतने फ्रॉड आदमी हैं कि सेलिंग की हुई जमीन को भी पैसा लेकर दाखिल खारिज कर चुके हैं। अब इस काम को वो कैसे किए हैं, यह जांच का विषय है। भू-माफिया से मिलकर सुधांशु शेखर बहुत सारे गैर कानूनी कार्य कर चुके हैं। एक मामला नरौली पंचायत के नरेश सिंह का है। वह जमीन नरेश सिंह का ही था और उसके पास हाईकोर्ट का डिग्री भी था। उसके जमीन को गलत तरिके से बेच दिया गया था। वह आब्जेक्शन पीटीशन भी दिए हुआ था और जब वो लोक शिकायत में आवेदन दिया कि जब आब्जेक्शन दिए हुए थे तो आप दाखिल खारिज कैसे कर दिए। तो बहुत उस पर दवाब बनाकर मैनेज कर दिया गया। उदय चौधरी ने यहां तक बताया कि यहां के लगभग हर सीओ भू-माफिया के इशारों पर काम करता है।

बिहार जैसे राज्य में जमीन विवाद का मामला सबसे ज्यादा मीडिया के सूर्खियों में रहता है। यहां तक कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस बात को कह चुके हैं कि बिहार में सबसे ज्यादा (65 प्रतिशत से ऊपर) विवाद जमीन संबंधित ही होता है। मुख्यमंत्री के स्तर पर इसके निवारण के लिए कई तरह के पहल भी किए गए हैं। जमीन संबंधित मामलों को लेकर नियम कानून में कई बदलाव भी किए हैं लेकिन हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। अपराधिक घटनाएं भी इसी के कारण ज्यादा होती हैं। कोर्ट में भी जमीन संबंधित विवाद ही सबसे ज्यादा पहुंचता है। इसमें सुधार करने के लिए सरकार हर स्तर पर कोशिश कर रही है। लेकिन कुछ भ्रष्ट अफसरों के कारण पूरा सिस्टम ही बदनाम हो गया है। जब तक ऐसे भ्रष्ट्र अफसरों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक बिहार का भला नहीं हो सकता।

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