सुरेन्द्र सागर, पटना(बिहार)
बिहार में नीतीश कुमार और आनन्द मोहन की जोड़ी ने नब्बे के दशक में लालू के आतंक राज के खात्मे का शंखनाद किया था और तब साल 1995 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की समता पार्टी से बेहतर प्रदर्शन करने वाली बिहार पीपुल्स पार्टी का समता पार्टी में विलय कराकर आनन्द मोहन ने नीतीश कुमार को नई ऊर्जा और ताकत के साथ आगे बढ़ने का अवसर दिया था।बिपीपा के समता पार्टी में विलय हो जाने के बाद नीतीश कुमार को युवाओं की एक बड़ी फौज मिल गई थी और आनन्द मोहन जैसे एक मजबूत नेता भी मिल गया था।नीतीश कुमार का यहीं वह टर्निंग प्वाइंट था जहां से बिहार की सत्ता पर कब्जा करने की उनकी राह आसान हुई थी। साल 2005 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री भी बने और लम्बे समय से बिहार की सत्ता की बागडोर संभाल रहे हैं।नीतीश कुमार और आनन्द मोहन ने मिलकर बिहार के नवनिर्माण का सपना देखा था और आज वह सपना साकार होते दिख रहा है। समता पार्टी ही बाद में जनतादल यूनाइटेड हुआ। कुछ राजनैतिक मतभेदों की बात छोड़ दें तो नीतीश कुमार और आनन्द मोहन के रिश्ते हमेशा बड़े भाई और छोटे भाई की तरह रहा है। नीतीश कुमार पर जब भी संकट आया है आनन्द मोहन ने लक्ष्मण बन कर उन्हें मदद की है।पिछले दिनों भी जब सरकार पर बहुमत सिद्ध करने का संकट आया तो उन्होंने अपने राजद के विधायक पुत्र चेतन आनन्द से क्रॉस वोटिंग कराकर भी नीतीश कुमार की सरकार बचा ली।जब आनन्द मोहन मुजफ्फरपुर जेल से शिवहर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे तब भी जेल से अपना चुनाव प्रबन्धन देखने के साथ साथ नीतीश कुमार के बाढ़ से चुनाव लड़ने के दौरान उनके चुनाव प्रबन्धन से जुड़े कई कार्य भी देख रहे थे।तब नीतीश कुमार ने बाढ़ संसदीय क्षेत्र से जुड़े अपने समर्थकों,कार्यकर्ताओ और खास लोगों के नाम और पत्ते से जुड़े एक रजिस्टर और अंतर्देशीय कार्ड पर बाढ़ की जनता के नाम छपे हजारों हजार संदेश को मुजफ्फरपुर जेल भेजवाया था और जेल से आनन्द मोहन उन अंतर्देशीय कार्ड पर रजिस्टर में अंकित नाम पत्ते चढ़वा कर उसे डाक से भेजवाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर रहे थे।इस चुनाव में जेल से चुनाव जीत कर आनन्द मोहन सीधे संसद पहुंचे तो नीतीश कुमार भी बाढ़ से चुनाव जीत कर दिल्ली पहुंच गए।ऐसा रिश्ता नीतीश कुमार और आनन्द मोहन का रहा है।
आज श्रीमती लवली आनन्द जनतादल यूनाइटेड के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीत चुकी है।आनन्द मोहन सिर्फ एक मजबूत नेता ही नही हैं बल्कि नीतीश कुमार के साथ खड़े अपने आप मे एक पार्टी हैं,एक दल हैं। ऐसे में जनतादल यूनाइटेड कोटे से नरेंद्र मोदी की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने की बात आती है तो पहला अधिकार श्रीमती लवली आनन्द का होता है। नीतीश कुमार को श्रीमती लवली आनन्द का नाम केंद्रीय मंत्रियों की प्रस्तावित सूची में एक नम्बर पर होना चाहिए।
आनन्द मोहन और श्रीमती लवली आनन्द की लोकप्रियता न सिर्फ बिहार के जिले जिले,प्रखण्ड प्रखण्ड,पंचायत पंचायत और गांव गांव तक हैं बल्कि उनके समर्थक देश भर में फैले हुए हैं। आनन्द मोहन और श्रीमती लवली आनन्द के समर्थकों की वजह से बिहार में जदयू,भाजपा,लोजपा(आर) और हम को जीत में बड़ी मदद मिली है।
जनतादल यूनाइटेड के विजयी सांसदों में सर्वाधिक लोकप्रिय और व्यापक जनाधार के साथ श्रीमती लवली आनन्द को लोग केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।जेडीयू और उसके प्रमुख नेता नीतीश कुमार महिलाओं को उनका अधिकार देने में हमेशा आगे रहे हैं और उन्हें अब श्रीमती लवली आनन्द को केंद्र सरकार में मंत्री बनाकर आधी आबादी को सरकार में प्रतिनिधित्व देने के लिए आगे आना चाहिए।श्रीमती लवली आनन्द जेडीयू की महिला सांसद के तौर पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होंगी तो जदयू और एनडीए को आने वाले विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व एवं अप्रत्याशित लाभ भी मिलेगा।