नीतीश का बड़ा फैसला, जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए संजय झा

देश
  • बैठक में संगठन संबंधी कई प्रस्ताव लाए गए
  • बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज दिलाने पर भी चर्चा हुई
  • बैठक में झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई

दिल्लीः जेडीयू ने संजय झा को जदयू का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया. मिली जानकारी के अनुसार जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक में संजय झा को जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने पर सहमति बनी है. बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संजय झा के नाम का प्रस्ताव लाया, जिस पर जेडीयू के नेताओं ने सहमति दी. लोकसभा चुनाव में बिहार में संगठन के सभी स्तरों पर पार्टी पदाधिकारी के साथ तालमेल और कार्यकर्ताओं के साथ निरंतर संवाद ने सफलता का मार्ग प्रशस्त किया. इस रणनीति का प्रयोग हमें 2025 के विधानसभा चुनाव में भी करना है. 2025 में जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो वहां हमारे उम्मीदवार चुनाव लड़े. प्रत्येक बूथ के लिए 5 से 10 कार्यकर्ताओं के नाम पहले से तय कर लिए जाने चाहिए. राज्य पदाधिकारी और जिला पार्टी के पदाधिकारी जब भी दौरे पर जाएं बूथ प्रभारी के संपर्क में रहे. पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बूथ प्रभारी को जरूर आमंत्रित करें. पदाधिकारी या मंत्री किसी भी क्षेत्र में जाएं तो वहां के बूथ प्रभारी को सूचना होनी चाहिए. ऐसे में उनका मनोबल और उत्साह बढ़ेगा.
बैठक में प्रखंड अनुमंडल और जिला स्तर पर बूथ प्रभारी की बैठक आयोजित करने को लेकर भी चर्चा हुई. कार्यकारिणी की बैठक में कहा गया कि बूथ प्रभारी चुनावी मोर्चा के अग्रिम दस्त के सिपाही हैं. पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में उनकी बड़ी भूमिका होगी. झारखंड में भी 2024 में चुनाव होना है. वहां पहले भी जेडीयू प्रत्याशी चुनाव लड़े हैं और जीते भी हैं. झारखंड पर विशेष ध्यान देते हुए हमें पहले वहां की उन सीटों को चिन्हित करने का काम कर लेना चाहिए जहां से हमारे प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने की संभावना सबसे ज्यादा है. इसके बाद चुनाव के लिए आगे की रणनीति बनाकर गंभीरता से जुटना चाहिए.

प्रस्ताव में कहा गया कि बिहार में एनडीए सरकार चलाने के साथ ही लोकसभा चुनाव के बाद तीसरे दफे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार गठन में हमारी महत्वपूर्ण भूमिका है. जेडीयू 16 सीटों पर चुनाव लड़ी और 12 सीटों पर जीत दर्ज की. केंद्र सरकार के गठन में हमारी उल्लेखनीय भूमिका है राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया हमारे लिए राजनीतिक सत्ता सेवा के लिए है भोग के लिए नहीं. हमारे नेतृत्व की यही सोच है इस राजनीतिक सत्ता का उपयोग सामाजिक आर्थिक शैक्षणिक और सांस्कृतिक बदलाव एवं विकास के लिए होना चाहिए. ताकि बेहतर समाज बन सके. बिहार में पिछले 19 वर्षों में नीतीश कुमार ने सत्ता को व्यवस्था परिवर्तन का यंत्र बनाने की कोशिश की है. जेपी के संपूर्ण क्रांति की यही सीख है
वहीं राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की हमारी पुरानी मांग है. आज की स्थिति में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा अथवा विशेष पैकेज की आवश्यकता है, जिससे बिहार के करोड़ों लोगों के विकास और कल्याण के लिए ज्यादा मजबूती से काम किया जा सके. विशेष दर्जा या पैकेज मिलने पर बिहार के विकास की रफ्तार और तेज हो सकेगी बिहार की प्रगति एवं खुशहाली के लिए जरूरत है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज मिले. जनता दल यूनाइटेड समन्वय और सहयोग की राजनीति में विश्वास करती है. भाजपा के साथ समन्वय और साझेदारी है जो एनडीए के रूप में स्वाभाविक गठबंधन का पर्याय बन चुका है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के राजनीतिक प्रस्ताव में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक मामले की गहराई से जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जिससे इसकी विशेषता बनी रहे.

साथ में पेपर लीक को लेकर संसद में कठोर कानून बनाए जाने की आवश्यकता है, जिससे हमारे छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को कड़ा दंड दिया जा सके. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस पर चिंता जताई गई. हाल ही में जाति आधारित गणना जो विधानमंडल और विधानमंडल से पारित आरक्षण के नए कानून को पटना हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है. इससे तत्काल विश्वविद्यालय में चल रहे नामांकन की प्रक्रिया प्रभावित होगी. इतना ही नहीं सरकार ने 1 साल के भीतर युवाओं को 5 लाख सरकारी नौकरी और 34 लाख रोजगार देने की प्रक्रिया प्रारंभ की है उसमें व्यवधान आएगा. पटना उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ सरकार सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है. हम उसकी सराहना करते हैं.

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