- आलोचना और विरोध में समय बर्बाद नहीं करते थे बाबू जगजीवन राम: राज्यपाल
पटना: जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना में बाबू जगजीवन राम की पुण्यतिथि मनायी गयी। इस अवसर पर बाबू जगजीवन राम जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।
संस्थान के निदेशक डॉ. नरेन्द्र पाठक ने बाबूजी की स्मृतियों को याद करते हुए उनकी कृतियों को बताते हुए राज्यपाल से बाबूजी को भारत रत्न दिये जाने की अनुशंसा करने का आग्रह किया। श्री पाठक ने राज्यपाल को शॉल और पुस्तक देकर सम्मानित किया। इसके अलावा दिव्यांग बच्चों द्वारा राज्यपाल को पौधा देकर सम्मानित किया गया तथा सामूहिक फोटोग्राफी की गयी।
इस मौके पर अपने संबोधन में राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने कहा- भारत के महान सपूतों में बाबूजी की गिनती होती है। वंचितों, शोषितों और देश के दिल में उन्होंने जगह बनाई। हम सभी भारतीय समान रूप से इस देश के नागरिक है। अगर अपनी विरासत से विमुख नहीं होते तो आज समाज का अलग स्वरूप होता। उन्होंने केरल के समाजसेवी श्री नारायण गुरु की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने जिस प्रकार समाज को नई ऊर्जा दी उसी प्रकार बाबू जगजीवन राम ने भी अपना सर्वस्व जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया। भारतीय संस्कृति मानवता के अंदर दिव्य शक्ति को देखती है। अगर भारतीय ज्ञान समझ गये तो किसी प्रकार के मोह के शिकार नहीं होंगे और आप उसे विस्तार के रूप में देखेंगे।
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार-सह-डीन प्रो. एस.पी. सिंह ने कहा बाबू जगजीवन राम के बारे में जितनी बातें होनी चाहिए, उससे आज भी नई पीढ़ी वंचित है। बिहार विभूतियों की भूमि रही है। ये वही बाबूजी है जिन्हें पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय आकर पढ़ने का आमंत्रण दिया था। आज समाज बदल गया है। सोचिए, उस जमाने में बाबूजी को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ा होगा। 1928 में कोलकाता में एक सम्मेलन बाबूजी ने कराया था। उसमें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें सुनकर उनसे प्रभावित हुए थे। बाबूजी सामाजिक न्याय के पुरोधा थे।
राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा डॉ. (प्रो.) गुरु प्रकाश ने कहा कि बाबूजी का सबसे लम्बा संसदीय कार्यकाल था। आपातकाल के दौरान तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विधाचरण शुक्ल ने, लोग बाबूजी के कार्यक्रम में ना जाए इसलिए उस जमाने की मशहूर फिल्म बॉबी को रिलीज कर दी गयी लेकिन इसका असर बाबूजी के कार्यक्रम पर नहीं पड़ा। दूसरे दिन अखबारों की पहली खबर बनी- ‘बाबू बिट्स बॉबी’। बाबू जगजीवन राम के बारे में 1971 की लड़ाई में दिए गए अभूतपूर्व योगदान के लिए उस समय के सेनाध्यक्ष जैकब ने अपनी पुस्तक में लिखा है- अब तक के सबसे बेहतर रक्षा मंत्री थे बाबूजी।
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के प्रो. शशि कांत प्रसाद ने कहा कि उस जमाने में छूआछूत की भावना थी, बावजूद इसके बाबूजी ने हार नहीं मानी और राजनीति में एक नये मुकाम को पाया। उनका मानना था कि वैसे समाज का निर्माण होना चाहिए जिससे आर्थिक, धार्मिक, सामाजिक जीवन सुदृढ़ हो जाए।
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. रत्नेश पटेल ने कहा कि बाबूजी के विचारों पर चलकर हमारी पार्टी ने महादलितों, गरीबों, वंचितों को मुख्यधारा में लाया, जिससे पूरी दुनिया वाकिफ है।
इस अवसर पर प्रो. उषा सिन्हा, प्रो. दिलीप कुमार, प्रो. मधु प्रभा सिंह, मुरली मनोहर श्रीवास्तव, मनोज कुमार, नीतू सिन्हा, किरण कुमार, ललन भगत, डॉ. रजनीश कुमार, अजय कुमार त्रिवेदी सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।