अफगानिस्तान से अंतिम बिदाई…!!

विदेश

-समता कुमार (सुनील)


                            अफगानिस्तान में बचे करीब 100 सिखों और 11 हिंदुओं को भारत सरकार ने इमरजेंसी वीजा जारी कर दिया है, जो आज रात या कल तक भारत आ जाएंगे। अगर 50 साल पहले अफगानिस्तान में रहने वाला कोई सिख या हिंदू अपने समाज के लोगों से यह कहता कि एक न एक दिन हमें अपनी मातृभूमि छोड़कर शरणार्थी बनना पड़ेगा तो लोग उसे थप्पड़ मारकर कहते  कि तू नफरती है, तू नफरत फैला रहा है। तू संघी है।
               लेकिन आज ऐसे ही 111 सिखों और हिंदुओं को इमरजेंसी वीजा जारी करने के बाद अफगानिस्तान संपूर्ण रूप से हिंदू-सिख विहीन हो गया। कभी-2 सोचकर मन द्रवित होता है कि हमारे देश का क्या होगा..?  लिबरल हिंदुओ को बस एक बात आती है "इससे मेरा क्या लेना देना..?" "मेरे अकेले से क्या फर्क पडता है..??" ये लोग तब भी नहीं जागेंगे जब इनके घर पर चिंगारी गिरेगी और अंत में रालिव-गालिव-चालिव हो जाएंगे, जब कोई विकल्प नहीं बचेगा।
          देश में ईसाईयों ने हिंदुओं और सिखों के जातिगत भेदभाव का अवसर उठाकर धर्मांतरण पर जोर लगा रखा है और बहुत बड़े स्तर पर सफल भी हो रहे हैं। दूसरी ओर मुस्लिम इस्लामिक राष्ट्र बनाने पर अग्रसर हैं और लापरवाह हिंदू कुंभकर्ण की नींद सोया है।
                भारत की स्थिति इतनी बदतर है कि हिंदू तो अंधा है ही साथ में ये सिख (खालिस्तानी) कौम भी सबसे बड़ी मूर्ख प्रजाति बनने पर अग्रसर है। इन्हे बस हिंदुओं से घृणा है कि हमारी आस्था पर कुछ भी बक देते हैं और विशेष समुदाय से बड़ा प्रेम इन्हे उमड़ने लगता है।
            


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