बिहार से जो स्नेह करता है, बिहार उसे कई गुना करके लौटा देता हैः प्रधानमंत्री

देश

* 21 अक्टूबर 2021 की बैठक में तय किया गया था कि समापन समारोह में प्रधानमंत्री जी को सादर आमंत्रित किया जाएगाः नीतीश

पटनाः   शताब्दी समापन समारोह में प्रधानमंत्री हुए शामिल। बिहार विधानसभा शताब्दी स्मृति स्तंभ का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया अनावरण। बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने प्रधानमंत्री का किया स्वागत। बिहार विधानसभा परिसर में प्रधानमंत्री ने कल्पतरु का पौधा लगाए।

इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संबोधित करते हुए कहा- बिहार विधानसभा शत्बादी समापन समारोह में प्रधानमंत्री जी उपस्थित हुए हैं इसके लिए आपका स्वागत करता हूं। 21 अक्टूबर 2021 को इसके लिए बैठक आयोजित हुई थी, उसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी को आमंत्रित किया गया था। उसी समय यह तय किया गया था कि समापन समारोह में प्रधानमंत्री जी को सादर आमंत्रित किया जाएगा।

इस मौके पर आप यहां आए हैं बहुत खुशी की बात है। विधानसभा अतिथिशाला और संग्रहालय का आपके द्वारा शिलान्यास किया जाएगा। 22 मार्च 1912 को बंगाल से अलग होकर बिहार और उड़ीसा अलग राज्य बना। 1936 में बिहार से अलग होकर उड़ीसा अलग राज्य बना। 7 फरवरी 1921 को इस भवन का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ था, उसका आज शताब्दी वर्ष समारोह के रुप मनाया जा रहा है। 1912 में बिहार और उड़ीसा को मिलाकर राज्य जब अलग हुआ तो विधायी परिषद बना गया था।

उसकी पहली बैठक वर्ष 1913 में की गई थी। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष स्व0ताराकांत झा जी ने एक कार्यक्रम का आयोजन कराया था, उस समय राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.ए0पी0जे0अब्दुल कलाम साहब भी यहां आए थे उस समय बिहार विधानसभा अध्यक्ष थे विजय कुमार चौधरी जी और उन्होंने स्थापना दिवस मनाने की शुरुआत करायी थी। उसी कड़ी में आज 100 साल पूरा होने पर कार्याक्रम का आयोजन किया गया है। आप जो कुछ बताएं, सलाह देंगे बहुत खुशी होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक, बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं। आज़ादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा जी ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी। आज़ादी के बाद इसी विधानसभा में जमींदारी उन्मूलन अधिनियम पास हुआ। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, नीतीश जी की सरकार ने बिहार पंचायती राज जैसे अधिनियम को पास किया।

इस अधिनियम के जरिए बिहार पहला ऐसा राज्य बना जिसने पंचायती राज में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया। देश के सांसद के रूप में, राज्य के विधायक के रूप में हमारी ये भी ज़िम्मेदारी है कि हम लोकतंत्र के सामने आ रही हर चुनौती को मिलकर हराएं। पक्ष विपक्ष के भेद से ऊपर उठकर, देश के लिए, देशहित के लिए हमारी आवाज़ एकजुट होनी चाहिए। हमें अगले 25 साल में भारत के भविष्य के लिए समर्पित करना है। हमें इसमें अपने कर्तव्य की कसौटी पर कसना होगा। आज भारत वैश्विक पटल पर जो कीर्तिमान साबित कर रहा है उसके पीछे कोटि-कोटि भारत वासियों की कर्तव्यनिष्ठा है। लोकतंत्र में हमारी सदन जनता की भावना को प्रदर्शित करते हैं। इसलिए सदन के सदस्यों का आचरण और स्वभाव महत्वपूर्ण है। सदन में हमारा व्यवहार और कर्तव्य जितना अच्छा होगा जनता में उतना उसका प्रभाव होगा। बिहार ने आज़ाद भारत को डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के रूप में पहला राष्ट्रपति दिया। लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवन राम जैसे नेतृत्व इस धरती पर हुए। जब देश में संविधान को कुचलने का प्रयास हुआ, तो भी उसके खिलाफ बिहार ने सबसे आगे आकर विरोध का बिगुल फूंका। जब दुनिया के बड़े भू-भाग सभ्यता और संस्कृति की ओर अपना पहला कदम बढ़ा रहे थे, तब वैशाली में परिष्कृत लोकतंत्र का संचालन हो रहा था। जब दुनिया के अन्य क्षेत्रों में जनतांत्रिक अधिकारों की समझ विकसित होनी शुरू हुई थी, तब लिच्छवी और वज्जीसंघ जैसे गणराज्य अपने शिखर पर थे। उन्होंने कहा भारत में लोकतन्त्र की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है जितना प्राचीन ये राष्ट्र है, जितनी प्राचीन हमारी संस्कृति है। बिहार जितना सशक्त होगा देश भी उतना ही सशक्त होगा।

हम अपने लोकतंत्र को जितना मजबूत करेंगे। उतनी ही मजबूती हमारी आजादी को मिलेगा। बिहार लोकतंत्र के खिलाफ कभी कुछ स्वीकार नहीं कर सकता है और हम सभी ने देखा है कि कैसे आजादी के बाद भी अपनी लोकतांत्रिक निष्ठा को लेकर उतना ही दृठ है। जब देश में संविधान को कुचलने का प्रयास हुआ तब बिहार ने ही सबसे आगे आकर उसे बचाया।

बिहार के वैभव को न कोई मिटा सकता है न कोई छिपा सकता है। आज मैं जब भी दुनिया की किसी भी मंच पर जाता हूं बड़े गर्व से कहता हूं भारत लोकतंत्र की जननी है। बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं। आजादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा जी ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी। नीतीश जी की सरकार ने इसी विधानभवन में बिहार पंचायत अधिनियम कानून को पास किया। इस अधिनियम के जरिए बिहार पहला ऐसा राज्य बना जिसने पंचायत में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। कल्पतरु के विषय में मान्यता है कि हमारी आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने वाला है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *