पटना:. पूर्व विधान पार्षद व वरिष्ठ भाजपा नेता प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में विकास की नई इबारतें हर विभाग ने लिखी है। भाजपा के शासनकाल में रेलवे विभाग की पूरी दिशा ही बदल गई है। यूपीए सरकार में रेलवे विभाग घोटालों के कारण जाना गया। कहीं जमीन लेकर नौकरी दी गई तो कहीं ठेका देने में भ्रष्टाचार हुआ। लेकिन भाजपा के शासनकाल में पिछले पांच सालों में 100 वंदेभारत ट्रेनें मिली हैं। यही नहीं कुल 772 ट्रेनों की शुरुआत भी हुई है।
प्रो. नंदन ने कहा कि भारतीय रेलवे के विकास का वृहत रोडमैप तैयार है और इसी के मुताबिक काम चल रहा है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरिडोर लिमिटेड की बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम हो रहा है। इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने के बाद मुंबई से अहमदाबाद के बीच यात्री 3 घंटे कम में सफर तय कर सकेंगे। बुलेट ट्रेन के अलावा, भारतीय रेलवे साल 2047 तक 4,500 वंदे भारत ट्रेनों को लेकर आएगा। सरकार द्वारा 2024-25 वित्तीय वर्ष तक करीब 50 नई अमृत भारत ट्रेनों को चलाने का ऐलान किया गया है। भारतीय रेलवे द्वारा, इस किस्म की 1000 नई ट्रेनों के निर्माण और 250 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाला मॉडल विकसित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की अमृत भारत स्कीम के तहत करीब 1,309 स्टेशनों के विकास का कार्य भी जारी है। इस स्कीम के तहत रेलवे स्टेशनों पर सुविधाओं, साफ-सफाई, मुफ्त वाई-फाई और विकलांग यात्रियों के लिए प्रावधानों में सुधार की ओर भारतीय रेलवे द्वारा कार्य किया जा रहा है। वहीं, वेटिंग लिस्ट को पूरी तरह रोकने की दिशा में भी भारतीय रेलवे काम कर रहा है। भारतीय रेलवे साल 2030 तक वेटिंग लिस्ट को पूरी तरह खत्म करने के लिए दैनिक ट्रेन यात्राओं के फेरे को 3000 तक बढ़ाने की योजना कर रहा है।
प्रो. नंदन ने कहा कि यूपीए सरकार ने 2009 से 2014 के दौरान अपने दूसरे कार्यकाल में रेलवे के लिए नए संसाधनों के निर्माण के लिए हर साल लगभग 45,980 करोड़ रुपये का निवेश किया। मोदी सरकार ने हर साल उस राशि के करीब तीन गुना खर्च किया है। उसका नौ वर्षों में कुल पूंजीगत व्यय 11.95 लाख करोड़ रुपये है। ये पैसे नई लाइनें, ट्रैक की क्षमता में वृद्धि और नई और तेज ट्रेनों पर खर्च हुए हैं। यह हमारे देश का दुर्भाग्य रहा है कि रेलवे जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था, जो सामान्य मानवीय जीवन का इतना बड़ा हिस्सा है, उसे भी राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया था। आजादी के बाद भारत को एक बड़ा रेलवे नेटवर्क मिला था। लेकिन रेलवे के आधुनिकीकरण पर हमेशा राजनीतिक स्वार्थ हावी रहा। लेकिन मोदी सरकार में सिर्फ विकास हुआ है और इसका जीता जागता उदाहरण रेलवे नेटवर्क के साथ सुविधाओं का विकास है।