पटना: देश के सातवें सबसे पुराने पटना विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक शताब्दी समारोह में शामिल हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2018 में तब खुले मंच से वादे तो बड़े किए थे। लेकिन पूरा करने के वक्त सबकुछ भूल गए। पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व महामंत्री एवं पूर्व विधान पार्षद,डॉ. रणबीर नंदन ने समारोह की याद दिलाते हुए कहा कि साइंस कॉलेज के मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने प्रधानमंत्री से पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विवि बनाने का आग्रह किया था। यह स्वाभाविक और बहुप्रतीक्षित मांग है कि पटना विवि भी केंद्रीय विश्वविद्यालय बने। लेकिन पीएम मोदी ने बिहार की शान पटना विश्वविद्यालय के विकास पर अपने फरेब की ऐसी चादर चढ़ाई कि अब उस पर धूल की परत भी बैठ गई है।
प्रो. नंदन ने कहा कि आज बिहार शिक्षा के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है लेकिन पटना विवि को उचित सम्मान दिए बिना हर पहल अधूरी है। इसलिए केंद्र सरकार को पटना विवि को केंद्रीय विश्वविद्यालय के तौर पर विकसित करने की योजना को वर्ष 2022-23 के बजट में शामिल करना चाहिए। इस साल के बजट में पीएम मोदी ने गुजरात में गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी व विश्व स्तर की यूनिवर्सिटी के प्रस्ताव को मंजूरी दी। लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार जी का खुले मंच से वो आग्रह पीएम मोदी दरकिनार कर गए, जो पटना विश्वविद्यालय और बिहार के लिए जरुरी है। यह पटना विश्वविद्यालय का अपमान है।
उन्होंने कहा कि पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बिहार और बिहारियों की भावना से जुड़े पटना विवि को केंद्रीय विवि बनाने की मांग यह कहकर किनारे लगा दी थी कि केंद्र सरकार पटना विवि को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाएगी। घोषणा तो पीएम मोदी ने कर दी लेकिन उसके बाद केंद्र सरकार ने इस पर कोई पहल नहीं की। जबकि इस वादा को पूरा करना बिहार और देश के हित में है। पटना विवि 105 साल पुरानी है। इसे केंद्रीय विवि बनाने की मांग कई स्तर पर हुई है। खुद सीएम नीतीश कुमार ने भी पीएम नरेंद्र मोदी के सामने पटना विवि के शताब्दी समारोह में यह मांग उठाई थी। तब पीएम मोदी ने कहा था कि इसे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा। लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि न तो पीएम मोदी ने सीएम नीतीश कुमार का आग्रह मान कर पटना विवि को केंद्रीय विवि बनाया और न ही अपनी घोषणा के अनुरूप सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया।