शाहाबाद ब्यूरो: आरा सदर अस्पताल में रोस्टर ड्यूटी पर पदस्थापित चिकित्सक डॉ. विकास कुमार द्वारा सदर अस्पताल की रोस्टर ड्यूटी छोड़ अपने निजी अस्पताल में चिकित्सा सेवा देने का मामला प्रकाश में आया है।
बताया जाता कि आरा नगर थाना क्षेत्र के आर्यसमाज मन्दिर के पास एक पेट्रोलपंप कर्मी से रुपये लूटने के दौरान पुलिस और अपराधियों में मुठभेड़ हो गई थी।अपराधियों द्वारा पुलिस पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी और इस मुठभेड़ के दौरान पुलिस के एक जवान को गोली लग गई थी।
जिस दिन लूट कांड को लेकर अपराधियों के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई थी उस दिन आरा सदर अस्पताल में डॉ. विकास सिंह रोस्टर ड्यूटी पर तैनात थे।
रोस्टर ड्यूटी के दौरान डॉ. विकास सिंह ने मुठभेड़ में गोली से जख्मी पुलिस के जवान का इलाज किया था और गोली निकाल कर उसकी जान बचाई थी।अब यह बात सामने आई है कि पुलिस जवान की गोली आरा सदर अस्पताल में नही निकाली गई थी।गोली डॉ. विकास सिंह के बाबू बाजार स्थित निजी अस्पताल में निकाली गई थी और घायल पुलिस जवान का इलाज भी निजी अस्पताल में ही किया गया था।
जबकि इस दौरान डॉ. विकास सिंह आरा सदर अस्पताल में रोस्टर ड्यूटी पर सेवा देने के लिए पदस्थापित किये गए थे।
अब सवाल यह उठता है कि आरा सदर अस्पताल में जब डॉ. विकास सिंह रोस्टर ड्यूटी पर थे तो फिर बाबू बाजार स्थित अपने निजी अस्पताल में कैसे चले गए और वहां घायल पुलिस जवान का इलाज कैसे किया।
नियमतः रोस्टर ड्यूटी पर रहते पुलिस जवान का इलाज आरा सदर अस्पताल में किया जाना चाहिए था।इससे बिहार सरकार के अस्पतालों की प्रतिष्ठा बढ़ती,स्वास्थ्य विभाग के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ता और सरकार पर जनता की विश्वसनीयता की मुहर भी लगती।
ऐसा नही हुआ और डॉ. विकास सिंह ने सरकारी सेवा के दौरान पुलिस जवान का आरा सदर अस्पताल में इलाज न करके अपने निजी अस्पताल में इलाज किया और सरकार की साख बढ़ाने के बजाय अपनी स्वयं की साख बढ़ाई।
इससे राज्य सरकार की अस्पतालों में बढ़ाई जा रही व्यापक सुविधाओं और किये जा रहे बड़े सुधार पर पर्दा डालने की कोशिश हुई है और डॉ. विकास सिंह का यह आचरण बिल्कुल राज्य सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के विरुद्ध उभर कर सामने आया है।
भोजपुर की जनता इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रही है।उधर भोजपुर के सिविल सर्जन ने कहा है कि अगर ऐसी बात है तो यह बेहद ही गंभीर मामला है और इसकी जांच कराई जाएगी।