डुमरांव (बक्सर): डुमरांव नगर परिषद चुनाव हर प्रत्याशी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। सभी अपने अपने तरीके से लोगों को लुभाने में लगे हुए हैं। इस बार चुनावी मैदान में नए पुराने प्रत्याशी मैदान में हैं। नया परिसिमन होने के बाद रेलवे स्टेशन के दोनों किनारे यानि डुमरांव नगर परिषद में भोजपुर के शामिल होने से सियासी पारा कुछ अलग ही रुप अख्तियार कर चुका है।
इस बार के चुनाव में डेढ़ दर्जन के करीब खड़े हैं। इनमें इस बार भोजपुर से भी कई प्रत्याशी मैदान में है। हलांकि डुमरांव-भोजपुर का अलग-अलग कभी अस्तित्व नहीं रहा है। मगर इतना तो कहां ही जा सकता है कि डुमरांव नगर परिषद की जनता काफी संवेदनशील है। उसे सबकुछ पता है कि पिछली जो स्थानीय निकाय की सरकारें रहीं हैं वो डुमरांव को कितना विकसित कर पायी है। इस बात को लेकर जिनके परिवार से कैंडिडेट मैदान में हैं उससे काफी नाराजगी का मंजर देखने को मिल रहा है। पब्लिक बोलती नहीं है मगर डिसिजन लेने में किसी भी स्तर पर कोई कंप्रोमाइज नहीं करती और किसी ऐसे चेहरे को कमान सौंपेगी की लोग देखकर दंग रह जाएंगे।
आखिर मंजू देवी ही क्यों ?
डुमरांव नगर परिषद से साफ सुथरी छवि की मंजू देवी का नाम कभी विवादों में नहीं रहा है। एक संयुक्त परिवार का मिसाल है इनका पूरा परिवार। इनके ससुर स्व0 कन्हैया प्रसाद दो बार इस नगर के वार्ड सदस्य रह चुके हैं और उन्होंने सिर्फ गरीब और मजलूमों की आवाज को ही सदन में उठाया। इनके बड़े ससुर स्व0 गोपाल प्रसाद की बात करें तो उनकी पूरी आजादी रहती थी अपने छोटे भाई को समाजसेवा के लिए और कन्हैया प्रसाद ने इसका भरपूर फायदा जनता को दिलवाया। बात करें स्व0 गोपाल प्रसाद की तो उनकी छवि हिंदू-मुस्लिम एकता की परिधि में बंधी हुई थी। अब हम बात करते हैं मंजू देवी के पति श्याम जी प्रसाद गुप्ता की तो ये अपने पढ़ाई के दौर से ही जाति-पाति को नहीं मानते सबके साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखते हैं। इनके अन्य भाईयों की बात करें तो वो हमेशा से सेवा भाव के लिए, दूसरों के लिए आवाज उठाते रहे हैं। जनप्रतिनिधि नहीं रहते हुए भी इनका पूरा परिवार आम आवाम के लिए हमेशा खड़ा रहा है। कई बार तो लड़ाई में आर्थिक दोहन का भी शिकार होना पड़ा है।बावजूद इसके इस परिवार ने इसकी कभी परवाह नहीं की।
डुमरांव की चुनौती के लिए लड़ेंगी मंजू देवी
डुमरांव नगर शुरुआती दौर से राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक रुप से संपन्न रहा है। इस धरती राजाभोज का किला, खरवार रियासत का बावन दुअरिया का जीर्णोद्धार, सिंधोरा उद्योग को उद्योग का दर्जा दिलाना, सड़क का चौड़ी करण, शहर को अतिक्रमण मुक्त कराना, सड़क पर बेवजह जाम की स्थिति से निजात दिलाना, ट्रैफिक पुलिस की मुख्य स्थानों पर बहाली कराना, ऑटो स्टैंड, नगर में पेयजल,शौचालय, पुस्तकालय, वाचनालय, नगर पालिका का टैक्स कंट्रोल्ड हो, नाली, गली, सप्लाई पानी जैसे अनेक मुद्दे हैं। इस संदर्भ में मंजू देवी से हमारे संवादाता ने बात की तो उन्होंने कहा कि हमारा तो यही मुख्य मुद्दा है और जो जनता का सुझाव होगा उस पर सामूहिक बैठककर निर्णय लिया जाएगा ताकि आने वाले समय में डुमरांव नगर परिषद की गौरवगाथा को प्रतिष्ठित कराया जा सके।