“किसानों तक नवीन तकनीक पहुँचाएँ कृषि विज्ञान केंद्र “- कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान क्षेत्र-IV पटना के 8वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. ए. के. सिंह, कुलपति, रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी ने कहा ।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान क्षेत्र-IV पटना की आधारशिला 19 अगस्त 2015 को रखी गई और इसका पूर्ण रूपेण कार्यकलाप अप्रैल 2017 से शुरू हुआ। इस कार्यालय का मुख्य कार्य इस क्षेत्र के कृषि विज्ञान केन्द्रों के क्रियाकलापों का कार्यान्वयन, मूल्यांकन एवं वित्त पोषण है।
कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान क्षेत्र-IV के नियंत्रणाधीन बिहार एवं झारखण्ड राज्य के कुल 68 कृषि विज्ञान केन्द्र हैं, जिनमें बिहार राज्य में 44 एवं झारखण्ड राज्य में 24 कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं। राज्य कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत बिहार कृषि विश्वविद्यालय में कुल 23 कृषि विज्ञान केन्द्र एवं केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत कुल 17 कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत है हैं। झारखण्ड में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत 17 कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के विभिन्न संस्थानो के अन्तर्गत 04 एवं गैर सरकारी संगठन के अन्तर्गत 08 कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं।
इस संस्थान की सेवाओं को प्रभावी ढंग से विस्तारित करने के लिए संस्थान के द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से विभिन्न प्रमुख अनुसंधान परियोजनाओं को सफलतापूर्वक कार्यान्वयन किया गया है। जिसमें दलहनी एवं तिलहनी फसलों के उपर समूह अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण, जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार, अनुसूचित जाति उपयोजना, जनजातीय उपयोजना, प्राकृतिक खेती का विस्तार, किसान प्रथम कार्यक्रम, कृषि ड्रोन परियोजना, ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, जल शक्ति अभियान, इत्यादि हैं। साथ ही साथ बिहार राज्य की महत्वाकांक्षी जलवायु अनुकूल कृषि योजना को भी सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से सफलतापूर्वक कार्यान्वयन किया जा रहा है।
इस छोटे से कार्यकाल में इस संस्थान को बहुत उपलब्धियाँ प्राप्त हुई हैं जिसमें महामहिम राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार 01 कृषि विज्ञान केन्द्र को सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्रों के श्रेणी में 03 कृषि विज्ञान केन्द्रों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार, जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार से 09 कृषि विज्ञान केन्द्रों को आई.सी.ए.आर. नवोन्मेषी किसान पुरस्कार से 06 कृषि विज्ञान केंद्रों को, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत 01 कृषि विज्ञान केन्द्र को तथा महिन्द्रा समृद्धि पुरस्कार से 10 किसानों को सम्मानित किया गया है। साथ ही साथ सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री से श्रीमती राजकुमारी देवी (किसान चाची) मुजफ्फरपुर, श्री जमुना टुड्डू (लेडी टारजन), सिंहभूम, एवं श्री सिमोन उरांव मिंज (झारखण्ड के जल पुरुष), बेरो, राँची को पुरस्कार से गौरवान्वित किया है।
स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर बिहार एवं झारखण्ड के कुछ उद्यमियों को सम्मानित किया गया। केन्द्र के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार ने गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया एवं केन्द्र की गतिविधियों एवं उपलब्धियों, आदि के बारे में संक्षिप्त जानकारी से सभी गणमान्य अतिथियों को अवगत कराया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. ए. के. सिंह, कुलपति, रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी एवं पूर्व उपमहानिदेशक, कृषि प्रसार भा.कृ.अनु.प. नई दिल्ली ने उद्घाटन सत्र में संबोधन एवं व्याख्यान दिया। अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि ने किसानों को नवीनतम तकनीकों को अपनाने एवं बदलते परिवेश में जलवायु अनुकूल खेती, कृषि में विविधिकरण, ग्रामीण युवकों को कृषि रोजगार करने के सुझाव दिए । उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों को कृषकों के लिए समग्र जानकारी एक स्थान पर उपलब्ध हो, इस रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों को किसानों के आमदनी में कैसे सतत् बढ़ोत्तरी किया जाए इस पर हमेशा ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। कृषि संयुक्त सचिव श्री अनिल कुमार झा ने भी इस अवसर पर किसानों के हित में अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर भा.कृ.अनु प• के विभिन्न संस्थानों के निदेशकों ने भी अपने विचारों को व्यक्त किया।
दूसरे सत्र में वैज्ञानिक कृषक संवाद एवं किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसके तहत किसानों को कृषि से संबंधित समस्याओं पर वैज्ञानिकों द्वारा निदान बताया गया। इस सत्र में डॉ. आर •के• सोहाने, डॉ. एम.एस. कुन्डू, डॉ. जे. उरांव, डॉ. ए.के. ठाकुर, डॉ. उज्ज्वल कुमार, डॉ. मनुब्रूल्लाह, तथा डॉ. अभय कुमार, डॉ. अमरेन्द्र कुमार, डॉ. प्रज्ञा भदौरिया इत्यादि ने भाग लिया। मंच का संचालन डॉ. प्रज्ञा भदौरिया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमरेन्द्र कुमार, प्रधान वैज्ञानिक कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान क्षेत्र-IV ने किया।