दिल्लीः विमान नियमावली, 1937 में संशोधन को आधिकारिक रूप से 10 अक्टूबर, 2023 को राजपत्र में अधिसूचित किया गया है। यह व्यापार को आसान बनाने के कार्य को बढ़ावा देने और विमानन क्षेत्र में सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव का सूचक है। यह विमान नियमावली, 1937 में संशोधन के साथ विमानन सुरक्षा को मजबूत बनाने तथा विमानन विनियमन में व्यापार को आसान बनाने की दिशा में बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
विमान नियमावली, 1937 में संशोधन उद्योग में हितधारकों के साथ पर्याप्त परामर्श से किया गया है। इसका उद्देश्य मौजूदा नियामक सुरक्षा और संरक्षा ढांचे को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक सुधार उपाय उपलब्ध कराना है। ये संशोधन अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) के मानकों और अनुशंसित प्रथाओं (एसएआरपी) एवं अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ भारत के विमानन नियमों के अनुरूप हैं। इन सुधारों के कुछ हिस्से को विमान (भवन और पेड़ों आदि के कारण होने वाली बाधाओं को दूर करना) नियम, 1994 में संशोधन के साथ दिनांक 13.04.2023 की राजपत्र अधिसूचना के तहत पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है।
विमान नियमावली, 1937 में संशोधन की एक उपलब्धि नियम 39सी में हुआ संशोधन है। इस संशोधन के तहत, एयरलाइन ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस (एटीपीएल) और कमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) धारकों के संबंध में लाइसेंस की वैधता पांच साल से बढ़ाकर दस साल कर दी गई है। इस परिवर्तन से पायलटों और डीजीसीए जैसे विमानन प्राधिकरणों पर प्रशासनिक बोझ कम होने का अनुमान है, इससे कही अधिक सुव्यवस्थित और कुशल लाइसेंसिंग प्रक्रिया की उपलब्धता को बढ़ावा मिलेगा।
विमान नियमावली, 1937 में यह संशोधन नियम 66 के तहत एक महत्वपूर्ण बदलाव की शुरूआत करता है, जो हवाई अड्डे के आसपास “फाल्स लाइट” के डिस्पले से संबंधित चिंताओं का समाधान करता है। यह अपडेट स्पष्ट करता है कि “प्रकाश” शब्द में लालटेन की रोशनी, विश काइट्स और लेजर लाइट शामिल हैं। ऐसी लाइटें प्रदर्शित करने वालों के बारे में सरकार का अधिकार क्षेत्र हवाई अड्डे के आसपास 5 किलोमीटर से 5 नौटिकल माइल्स तक बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा, यह भी स्पष्ट किया गया है कि सरकार के पास ऐसी लाइटें प्रदर्शित करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का अधिकार है जो विमान के सुरक्षित संचालन में बाधा डालते हैं या संचालन क्रू के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। यदि ऐसी लाइटें 24 घंटे तक बे-रोकटोक जली रहती हैं, तो सरकार को उस स्थान में प्रवेश करने और इन लाइटों को बुझाने का अधिकार है। इसके साथ-साथ ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत कानूनी कार्रवाई के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन को भी सूचित किया जाएगा। जब ऐसी लाइटों का स्रोत अज्ञात रहता है या उनके स्थलों में बदलाव होता है तो हवाईअड्डा या एयरलाइन ऑपरेटर ऐसे मामलों की त्वरित रिपोर्ट स्थानीय पुलिस स्टेशन में करने के लिए बाध्य है, ताकि संभावित आपराधिक कार्रवाई शुरू की जा सके।
इसके अलावा, विदेशी लाइसेंस की वैधता के लिए नियम 118 को अनावश्यक होने के कारण हटा दिया गया है। यह परिवर्तन विमानन क्षेत्र की उभरती हुई जरूरतों के अनुसार नियमों को अनुरूप बनाने का प्रतीक है।
इसके अतिरिक्त, अनुसूची III के तहत एयर ट्रैफिक कंट्रोलर लाइसेंस धारकों के लिए लगातार क्षमता सुनिश्चित करते हुए नवीनता और योग्यता की जरूरतों को सरल बनाने के लिए एक क्लोज जोड़ी गई है। यह परिवर्तन सीमित गतिविधियों या वॉच ऑवर के साथ स्थितियों के समायोजन के लिए अधिक लचीलापन प्रदान करती है, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर लाइसेंस धारकों को आपात स्थिति सहित कम से कम दस घंटे के सिम्युलेटेड अभ्यास पूरे करने होंगे। इसके बाद, उन्हें दस दिनों तक अपने अभ्यासों को शुरू करने के दौरान अपनी संबंधित रेटिंग के लिए कौशल मूल्यांकन से गुजरना होगा।
विमान नियमावली, 1937 में ये संशोधन भारत में विमानन क्षेत्र में विमानन सुरक्षा, संरक्षा और व्यापार को आसान बनाने की दिशा में उठाये गए एक महत्वपूर्ण कदम को दर्शाता है। ये सुधार विमानन उद्योग की वृद्धि और स्थिरता को बढ़ाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि यह स्थिति वैश्विक विमानन मानकों में सबसे आगे कायम रहे।