अल्पसंख्यकों के लिए चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं से बिहार की है अलग पहचान

आलेख
  • मुरली मनोहर श्रीवास्तव

किसी भी देश और राज्य की तरक्की वहां रहनेवाले लोगों का बिना किसी भेदभाव के विकास पर निर्भर करता है। चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय से ताल्लुकात रखते हों। यदि किसी राज्य या देश में रहनेवाला कोई भी वर्ग विकास से पीछे छूट जाए तो उस देश और राज्य का विकास कभी संभव नहीं है।
सामाजिक न्याय के साथ प्रत्येक राष्ट्र, वर्ग का विकास प्रत्येक राज्य और प्रत्येक शासक के आधिकारिक कर्तव्यों में शामिल होता है। हमारे देश में भी अलग-अलग राज्यों में विकास के लिए कई परियोजनाएं चलायी जा रहा हैं, जिसका उद्देश्य लोगों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है।
बिहार में रहने वाले लोगों के विकास के लिए विभिन्न स्तरों पर परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। राज्य सरकार अल्पसंख्यकों के विकास के लिए भी कई लाभप्रद परियोजनाएं चला रही है। इनमें वे परियोजनाएं भी शामिल हैं, जो बिहार को अन्य राज्यों से अलग करती हैं। सरकार की मंशा है कि बिहार में अल्पसंख्यक समुदाय अन्य सभी समुदायों की तरह विकास से वंचित न रहे। इसके लिए मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार निरंतर प्रयास करते रहते हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने इसके लिए विशेष रुचि लेते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के लिए भी गंभीर प्रयास किए। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2005 में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए आवंटित राशि लगभग साढ़े तीन करोड़ थी, जो बिहार राज्य अल्पसंख्यक विभाग द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 में यह 650.00 करोड़ तक पहुंच गया है।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार का प्रयास रहा है कि समाज में अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहतर हो और विकास में उनकी सशक्त भागीदारी हो। बिहार सरकार ने कई ऐसी योजनाएं बनाई हैं, जो राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय के सामाजिक और आर्थिक विकास में मदद कर रही हैं। चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो या आर्थिक स्वतंत्रता हो। बिहार सरकार अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखकर हर स्तर पर काम कर रही है। अल्पसंख्यक समुदायों के विकास के लिए ‘बिहार राज्य अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय योजना’, ‘बिहार राज्य मदरसा सुदृढ़ीकरण योजना’, ‘बिहार राज्य वक्फ विकास योजना’, ‘छात्रवृत्ति योजना’, ‘मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना’, ‘मुस्लिम परित्यक्तता योजना’, ‘तलाकशुदा सहायता योजना’ सहित योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं से अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को बड़े पैमाने पर लाभ हुआ है।
बिहार में अल्पसंख्यकों के लिए लागू की गई योजना का अध्ययन और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट से यह पता चलता है कि नीतीश सरकार हर क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
राज्य सरकार का फोकस है कि अल्पसंख्यक संप्रदाय के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। इसी उद्देश्य से हर जिले में अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालयों का निर्माण कराया जा रहा है। कई जिलों में न केवल निर्माण पूरा हो चुका है बल्कि वहां छात्र पढ़ाई भी कर रहे हैं। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालयों की तरह प्रत्येक जिला मुख्यालय में अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालयों के निर्माण के लिए भूमि का चयन किया जा रहा है। इसके साथ ही अल्पसंख्यक छात्रावास निर्माण योजना के तहत अब तक निर्मित 41 छात्रावासों में से 34 छात्रावास कार्यरत हैं तथा 11 छात्रावास निर्माणाधीन हैं। ‘मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक छात्रावास अनुदान’ योजना के तहत छात्रावासों में रहने वाले अल्पसंख्यक छात्रों को प्रति माह 1000 रुपये दिए जा रहे हैं। ‘मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक छात्रावास भोजन योजना’ के तहत भी छात्रों को मदद की जा रही है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के तहत मैट्रिक में प्रथम श्रेणी और इंटर पास छात्रों को ‘मुख्यमंत्री प्रोत्साहन’ योजना के तहत पैसा दिया जाता है। इसी तरह मदरसा बोर्ड से प्रथम श्रेणी फुकानिया और मौलवी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र-छात्राओं को भी योजना का लाभ दिया जाता है। इससे मुस्लिम वर्ग के छात्र-छात्राओं का रुझान भी शिक्षा की तरफ बढ़ा है। स्कूल से बाहर रहनेवाले मुस्लिम बच्चों को सक्षम बनाने के लिए तालिमी मरकज़ के तहत स्कूलों तक पहुंचाया जा रहा है। राज्य सरकार की एक अत्यंत महत्वपूर्ण योजना राज्य कोचिंग योजना है, जो मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी कि विशेष रुचि से चलायी जा रही है। मुस्लिम छात्रों को बी0पी0एस0सी0 और एस0एस0सी0 परीक्षाओं के लिए हज भवन, पटना में तैयारी कराई जाती है, जिसे वर्ष 2014 में शुरू की गयी थी। इसका प्रमाण है कि चार साल के लिए खाली पदों के लिए परीक्षाएं एक साथ आयोजित की गईं। बड़ी संख्या में अभ्यर्थी बी0पी0एस0सी0 उत्तीर्ण कर विभिन्न जिलों और प्रखंडों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हुए हैं। इसमें उन्हें नैतिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि वे जिस समाज में अधिकारी के रूप में जाएं, वहां राज्य का विकास करें। अपनी सेवाएं ईमानदारी से दे सकें। इसके अलावा कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे, बैंकिंग परीक्षा और एस0टी0ई0टी0/टी0ई0टी0 परीक्षा के लिए छात्रों को कोचिंग दी जा रही है। सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के संस्थागत सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड और बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड की अनुदान राशि कई गुना बढ़ा दी गई है। तीर्थयात्रियों के लिए आवश्यक यात्रा की व्यवस्था की जाती है। साथ ही उनकी सहायता के लिए खादिम अल-हज्जाज पर्यवेक्षकों को भी सऊदी अरब भेजा जाता है। बिहार राज्य हज समिति के वार्षिक अनुदान में भी बढ़ोतरी की गयी है।
राज्य सरकार ने अल्पसंख्यक मुस्लिम परित्यक्ता/तलाकशुदा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुस्लिम तुर्क/तलाकशुदा सहायता योजना के तहत महिलाओं को दी जाने वाली आर्थिक सहायता 10,000 रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी है। 2008-09 से स्वीकृत ‘प्रधानमंत्री श्रम शक्ति योजना’ का उद्देश्य अल्पसंख्यक कामगारों/युवाओं को विशेष प्रशिक्षण देकर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है। साथ ही सरकारी संगठन “बिहार कौशल विकास मिशन” द्वारा उपलब्ध कराए गए विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों पर विभिन्न ट्रेडों जैसे ए.सी., फ्रीज रिपेयर, कंप्यूटर हार्डवेयर, सिलाई और कंप्यूटर में एडवांस्ड डिप्लोमा आदि में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
बिहार राज्य मदरसा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसों में शैक्षणिक सुधार के लिए बुनियादी सुविधाएं जैसे कक्षा, पुस्तकालय, अतिरिक्त कक्षा, कार्यालय, बहुउद्देश्यीय हॉल, विज्ञान प्रयोगशाला, सौर संयंत्र, शैक्षिक अनुसंधान आदि उपकरण, पेयजल, कैफेटेरिया की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। इस योजना के तहत दो दर्जन से अधिक मदरसों को निर्माण कार्य के लिए विभागीय अनुमोदन समिति द्वारा अनुशंसा की गई है और एक दर्जन से अधिक मदरसों को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा प्रदेश के 1700 वस्तानिया स्तर के मदरसों के लिए ‘तालिमी नौबाल्गा’ प्रौढ़ शिक्षा पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। इसके लिए मौलवी और हेड मौलवी को प्रशिक्षित किया जाना है। इस योजना से मदरसों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार होगा।
बिहार राज्य वक्फ विकास योजना के तहत बिहार राज्य सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड के तहत पंजीकृत बंदोबस्ती को बढ़ावा देने के लिए यह योजना लागू की गई है। वक्फ संपत्ति को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के उद्देश्य से वक्फ भूमि पर व्यावसायिक भवन, दुकान के निर्माण और रखरखाव के लिए प्रभावी बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया जाएगा, जिसमें वक्फ बोर्ड समिति कार्यालय, पुस्तकालय सभागार, कौशल विकास केंद्र, कुचिंग केंद्र आदि शामिल होंगे। मार्केट कॉम्प्लेक्स इत्यादि। बिहार राज्य वक्फ विकास योजना 2018-19 से सरकार द्वारा लागू की गई है। पटना में अंजुमन इस्लामिया हॉल को सुंदर, आकर्षक और बहुउद्देश्यीय बनाया गया है। इसके अलावे राज्य सरकार कई अन्य जिलों में बंदोबस्ती की जमीन पर ऐसे भवन का निर्माण कराना चाहती है, जिसका सीधा फायदा मुस्लिम अल्पसंख्यकों को मिलेगा।

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