डॉ. सुरेन्द्र सागर,आरा
साल 1996 के बाद से आज तक समय समय पर भाजपा और एनडीए को मदद कर देश और प्रदेश में भाजपा और एनडीए की साख और सम्मान बचाने वाले बिहार और देश के बड़े नेता पूर्व सांसद आनन्द मोहन ने एकबार फिर एनडीए की सरकार बचाने के लिए सफल ऑपरेशन को अंजाम देकर इतिहास रच दिया है।बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राज्य में कायम आतंकराज के खिलाफ सबसे पहले जंग का शंखनाद करने वाले आनन्द मोहन को साजिशों के तहत मॉब लीचिंग के केस फंसाकर जेल भेज दिया गया बावजूद कोर्ट से जमानत पर निकलने के बाद साल 1995 में पटना के गांधी मैदान में उमड़ी नौजवानों की फौज ने आनन्द मोहन को नई ताकत दी और इस ताकत के दम पर आनन्द मोहन ने आने वाले दिनों में भाजपा और एनडीए को गांव गांव तक पहुंचाया।बिहार पीपुल्स पार्टी जैसी अपनी बड़ी जनाधार वाली पार्टी को जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली समता पार्टी में विलय कराकर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को नई ताकत के साथ आगे बढ़ने और लालू के आतंक राज के सम्पूर्ण सफाए का बिगुल फूक दिया।
आनन्द मोहन ने साल 1998 में लोकसभा के सांसद रहते अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को बचाने के लिए स्वयं के साथ साथ अपने प्रभाव वाले सात सांसद साथियों का वोट का इंतजाम कर एनडीए और विपक्ष के सांसदों की संख्या को बराबर बराबर पर ला खड़ा कर दिया और ऐसी स्थिति में लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी के एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को बचाने और असमय चुनाव के बोझ से देश को बचाने के सफल ऑपरेशन को भी अंजाम दे दिया था।तब रामविलास पासवान भी एनडीए सरकार को गिरा देने के लिए विपक्ष के साथ खड़े हुए थे।बावजूद इसके एनडीए की सरकार को बचाने के लिए आनन्द मोहन ने महत्वपूर्ण रणनीति बना डाली थी।दुर्भाग्य यह हुआ कि लोकसभा सांसद रहते गिरिधर गोमांग उड़ीसा के मुख्यमंत्री बन गए थे और संसद की सदस्यता से इस्तीफा दिए बिना सरकार चला रहे थे।चूंकि सीएम बनने की अवधि अभी छह महीने नही हुई थी और इस आधार पर गिरिधर गोमांग अपनी संसद सदस्यता बचाये हुए थे।कांग्रेस नेत्री सोनिया गांधी ने उन्हें बुलाकर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के विरोध में वोट दिलवा दिया और अंततः साजिशों से एनडीए की सरकार गिरा दी गई।अगर गिरिधर गोमांग का गलत मतदान नही हुआ होता तो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी के वोट से बच जाती और तब आनन्द मोहन एनडीए के स्वर्णिम अध्याय का बड़ा योद्धा बनकर उभरते।बावजूद इसके तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आनन्द मोहन को अपना हनुमान कहा था।तब देश के आम चुनाव में एनडीए के स्टार प्रचारक प्रमोद महाजन और आनन्द मोहन की जोड़ी को देखने के लिए हजारों हजार की भीड़ उमड़ती थी।
साल 2007 में एक साजिश और षड्यंत्र के तहत 1995 के मॉब लीचिंग में हुई डीएम हत्याकांड के केस को मुजफ्फरपुर से पटना लाकर स्पीडी ट्रायल चलाया गया और गलत तथ्य प्रस्तुत कर पहले फांसी की सजा और फिर आजीवन कारावास की सजा करा दी गई।
बेगुनाह होते हुए भी सोलह साल की सजा काटकर जब नीतीश कुमार की सरकार ने आनन्द मोहन को अच्छे आचरण के आधार पर जेल से रिहा किया तो सबसे अधिक बिहार भाजपा के नेता सुशील मोदी,नितिन नवीन,सम्राट चौधरी जैसे गिने चुने नेताओ ने खूब हंगामा किया और टीवी चैनलों के माध्यम से आनन्द मोहन को उनकी छवि के विपरीत बताते हुए अपशब्दों की तमाम सीमाएं लांघ दी।भाजपा के इन नेताओं के बयानों और गतिविधियों से बिहार समेत देश भर में फैले आनन्द मोहन के समर्थकों और कार्यकर्ताओं को सदमा पहुंचा और उन्हें आहत किया गया।
बिहार भाजपा के नेताओ ने आनन्द मोहन के खिलाफ तब अभियान चलाया जब साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्व सांसद आनन्द मोहन ने अपनी पत्नी और पूर्व सांसद श्रीमती लवली आनन्द को लोकसभा चुनाव लड़ने से रोक कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पुनः प्रधानमंत्री बनाने और एनडीए की शानदार और रिकॉर्ड जीत सुनिश्चित कराने के लिए स्टार प्रचारक के तौर पर चुनाव प्रचार में झोंक दिया।पूर्व सांसद श्रीमती लवली आनन्द ने बिहार में हेलीकॉटर और सड़क मार्ग से सैकड़ो जनसभाएं की और वे जहां भी गई अपने समर्थकों,कार्यकर्ताओ और बिहार के मतदाताओं से अपना आँचल फैलाकर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने और एनडीए प्रत्याशियों की शानदार जीत सुनिश्चित करने के लिए एनडीए को मतदान करने की अपील की थी।साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जब भाजपा और एनडीए की तरफ से श्रीमती लवली आनन्द को टिकट देने की पहल नही की गई और विवश होकर जब वह राजद के टिकट पर सहरसा से चुनाव लड़ने गई तो बिहार भाजपा के ऐसे ही नेताओ द्वारा सहरसा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा कराई गई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा की वजह से श्रीमती लवली आनन्द चुनाव हार गई जबकि शिवहर से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे चेतन आनन्द प्रदेश भाजपा के नेताओ के विरोध के बावजूद रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीत गए।
साल 2024 में बिहार में प्रतिष्ठा का प्रश्न बने एनडीए सरकार को बचाने और बहुमत हासिल करने का संकट खड़ा हुआ तो एकबार फिर पूर्व सांसद आनन्द मोहन ने ही भाजपा और एनडीए का साथ दिया और बिहार भाजपा के नेताओं के दिये गए तमाम अपमान के घूंट पी लिए।बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृह मंत्री अमित शाह की प्रतिष्ठा बचा ली। एनडीए की सरकार बचाने के लिए विश्वासमत के एक दिन पूर्व की रात पूरी रात जगकर एनडीए सरकार बचाओ ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। अपने विधायक पुत्र चेतन आनन्द को तेजस्वी की घेरेबंदी से निकाला और क्रॉस वोटिंग कराकर देश के मानचित्र पर एनडीए का परचम लहरा दिया।
अब देखना है आने वाले दिनों में पूर्व सांसद आनन्द मोहन के लिए भाजपा और एनडीए का शीर्ष नेतृत्व कितना आगे बढ़कर पहल करता है और एनडीए में आनन्द मोहन की क्या भूमिका तय होती है लेकिन एक बात साफ है कि एनडीए का साथ देने के बाद आनन्द मोहन की वजह से न सिर्फ अकेले बिहार बल्कि देश भर में फैले उनके हजारों लाखों ऊर्जावान नौजवान समर्थकों और कार्यकर्ताओं का साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार सौ पार के लक्ष्य,आंकड़े और नारे को पूरा करने में कामयाबी का परचम लहराएगा।