लोकतंत्र में वोट देना हमारा कर्तव्य हैः संजय श्रीवास्तव

देश

पटनाः आज लोकतंत्र पर जब बात आती है तो एक बयार उठती हैं, गर्म और पूरी लाम झा म के साथ। सभी पार्टी अपनी अपनी अच्छे दिन के लिए एक मुहिम छिड़ ते है। पक्ष अपनी कार्य की विश्लेषण करती और विपक्ष अनेक प्रकार की ध्रुवीकरण करती। जनता मे जो सही लोक विश्वास मत की बात करते हैं तो फीका सा लगता हैं। कहाँ चुक होती है और जनता वोट देने मतदान देने मतदान केन्द्र नही जाती।
सच कड़वा होती है। किसी भी पार्टी की सदस्ये या उनकी कार्य करता लोक तंत्र की घोषणा के बाद या पूर्व जन जन के संग नही मिलते हैं। जब हमारी सरकार के साथ साथ सबका विकास करने वाले को भी पहचान करने मे जन सैलाब सोचती है। इस बात का हश्र तब दिखता जब नेता जी अपने प्रमुख का ना म देकर पहचान करते फिरते हैं। आप को पता होनी चाहिए कि वो नेता जो इस नगर या फिर गाँव के नेता है, उन्हे बताते हुए अपना घर नाम और पार्टी विशेष की चर्चा करते हैं। आज का विषय है जन् प्रतिनिधि अपनी ताकत पार्टी विशेष पर नही जनता के साथ मिलकर उनकी हर मुद्दों पर ताल मेल करना ये नही दुसरी पार्टी की पुरानी आलाप करना। जनता को इनकी बेतुको चर्चा में शामिल होने की बात नही करते। आज वोट प्रतिशत बढ़ती नही है। शहर में तो बिल्कुल नही। फिर भी हम देश वासियो को वोट तंत्र पर डंका बजा ना चाहिए। वोट की चोट। आज प्रधान मंत्री जी को भी मालू म हो गया है, मेरी विकास जनता की साथ मे गांठ मजबूर है। यहाँ तक अपनी भाषण में कह दिये है कि वोट दे किसी भी पार्टी को या किसी भी जन प्रतिनिधि को वोट दे। यह आपकी हक है। संजय कुमार श्रीवास्तव की विचार।

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