- डॉ0 संजय रघुवर , अध्यक्ष, मगध चल समग्र विकास समिति, औरंगाबाद, बिहार
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य धारा की राजनीतिक पार्टियों के द्वारा नामांकन के अंतिम दिन के कुछ घंटे पहले उम्मीदवारों को टिकट दिया जाना साबित कर दिया है की सभी दलों में थोक भाव में टिकट की बिक्री करने का काम किया हैl निश्चित रूप से राजनीतिक दलों से टिकट खरीदने का काम कोई आम कार्यकर्ता नहीं बल्कि धन कुबेर ही करेगा जिनका जन सरोकारों से कोई संबंध नहीं रहा हैl हां एक दो व्यक्ति अपवाद जरूर है जिन्होंने समाज के हर हर वर्ग को दुख सुख में आर्थिक मदद की हैl बिहार के बारे में कहां जाता रहा है यहां जाति सब कुछ है और शायद मेरी धारणा भी यही रही है किंतु इस विषय पर गंभीरता पूर्वक विचार करने के पश्चात मैं इस नतीजे पर पहुंचता हूं की जातियों को उनके जाति के स्थापित नेता के द्वारा कहीं कुछ मिलता नहीं है बल्कि जातियों के नाम पर जितनी पॉलिटिकल पार्टियों बनी है यह सभी के सभी अपनी-अपनी जाति का भावनात्मक शोषण कर रहे हैं और उनको अपना आहार बना लिया हैl मुझे नहीं मालूम कि चुनाव में किसकी सरकार बनेगी सता पक्ष लौटेगा या नहीं लौटेगा? या जो प्रतिपक्ष की पार्टी है या इसका गठबंधन है यह सत्ता में लौटेगी या नहीं लौटेगी? खैरी दोनों गठबंधन मै जिस किसी की सरकार बने जनता हारेगी? भ्रष्टाचार अभी चरम पर है बिहार में ऐसा कोई डिपार्टमेंट नहीं है जहां बिना पैसे दिए हुए काम होते होl अभी बिहार में ऐसा कोई अधिकारी नहीं जो किसी भी जाति धर्म के गरीब व्यक्ति को न्याय दिलाने में तत्पर हो ! मैं 2004 में दिल्ली में प्रख्यात समाजवादी नेता श्री जॉर्ज फर्नांडिस के आवास पर मिला था और जब समाजवाद पर चर्चा चली तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि समाजवादी आंदोलन देश में समाप्त हो चुका है अब किसी दल को कमिटेड वर्कर नहीं मिलेगा अब तो राजनीतिक दलों को भाड़ा पर वर्कर लाना होगा पूरी संस्कृति बिगड़ गई है नष्ट हो गई हैl तब मुझे लगा था कि श्री जॉर्ज फर्नांडिस ऐसा इसलिए बोल रहे हैं कि उन्होंने समाजवाद को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को गले लगा लिया है और आज भी देश में किशन पटनायक सुरेंद्र मोहन जैसे लोग समाजवाद का झंडा लेकर फिर से एक नई कोशिश में लगे हैंl परंतु इस बिहार विधानसभा के चुनाव में टिकट वितरण में जिस प्रकार का चरित्र सभी स्थापित दलों ने दिखाया है जिससे मैं 2004 में जॉर्ज फर्नांडिस द्वारा कही गई बात को आज के संदर्भ में सत्य मानता हूंl आज के दिनों में बिहार के सबसे वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी जी का एक छोटा सा लेख कल मैं फेसबुक पर पढ़ा था जिसमें उन्होंने समाजवादी नेता शरद यादव से अपनी पहली मुलाकात और बाद के दिनों में जब शरद यादव राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो गए और बिहार की राजनीति में श्री लालू प्रसाद यादव एवं नीतीश कुमार को स्थापित करने में उन्होंने जो योगदान दिया और इस चुनाव में शरद यादव के सुपुत्र शांतनु का राष्ट्रीय जनता दल ने टिकट नहीं दिया जिस पर उन्होंने चिंता व्यक्त की थीl अभी के संक्रमण कालीन परिस्थितियों का गंभीरता पूर्वक चिंतन किया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि देश में समाजवादी आंदोलन और उसके विचार और उसके अनुरूप जीवन शैली समाप्त हो गई है और भारतीय राजनीति यानी लोकसभा एवं विधानसभाएं पूंजी पतियों की गुलाम हो गई हैl बिहार में जनसुरज एक नई पार्टी बनी है इसके संस्थापक श्री प्रशांत किशोर से मेरे परिचय नहीं है और ना ही उनके दल के किसी नेता से मेरा परिचय है और मैं यह भी मानता हूं श्री श्री प्रशांत किशोर समाजवादी आंदोलन के मूल्य के अनुरूप नहीं बल्कि आज पूंजीवादी व्यवस्था के अनुरूप ही अपनी पार्टी का गठन किया है किंतु इतना कहने में मुझे कोई दिक्कत नहीं है कि उन्होंने बिहार के कई मुद्दों को उठाया है और इन मुद्दों के जरिए पूरे बिहार वासियों का अपनी नवोदित पार्टी की ओर ध्यान आकृष्ट किया हैl श्री प्रशांत किशोर ने जो मुद्दे उठाए हैं वह किसी जाति विशेष का नहीं किसी धर्म विशेष का नहीं बल्कि पूरे बिहार वासियों के हित में उठाया गया मुद्दा है जो किसी भी स्थापित दल के अब तक मुद्दा नहीं बना हैl श्री प्रशांत किशोर का सार्वजनिक रूप से कहना कि यदि उनके उम्मीदवार अच्छा नहीं है गलत है तो उसे वोट नहीं दिया जाए यह आज के तारीख में बड़ी बात है इस तरह का अपील कभी चौधरी चरण सिंह जी ने अपने उम्मीदवारों के लिए किया था l श्री प्रशांत किशोर की बहुत सारे लोग उम्मीदवार बनने के ख्याल से जुड़े थे जो सबको उम्मीदवार बनाना संभव नहीं था और किसी दल के लिए संभव नहीं हो सकता ऐसी स्थिति में यदि कुछ लोग उनकी पार्टी को छोड़ दिया हो तो यह कोई बड़ी बात नहीं और आश्चर्य का भी नहीं है क्योंकि ऐसे लोग बिहार बदलाव के लिए नहीं या किसी विचार के लिए नहीं खुद को चुनाव लड़ने के लिए गए थेl मैंने श्री प्रशांत किशोर की पार्टी उम्मीदवारों की सूची देखी है और यह देखकर खुशी भी हुई है कि समाज के सभी वर्ग खास करके सदियों से वंचित अत्यंत पिछड़ी जाति के लोगों को काफी संख्या में उम्मीदवार बनाया है और ऊंची जाति में भी कुछ वैसे लोगों को उम्मीदवार बनाया है जिनकी जाति की तो अब चर्चा भी नहीं होती है जबकि बिहार बनाने का पटना राजधानी में सचिवालय उच्च न्यायालय हवाई अड्डा निर्माण के लिए इस समाज ने अपनी जमीन दान दी थी और आज भी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का जो भवन है वह यही महान दानवीर बिहार निर्माता डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा जी का हैl आज डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा का समाज राजनीति में बहिष्कृत है इस समाज के कई प्रबुद्ध जनों को श्री प्रशांत किशोर ने अपना उम्मीदवार बनाया हैl मैं मानता हूं की श्री प्रशांत किशोर की राजनीति आचार्य नरेंद्र देव लोकनायक जयप्रकाश डॉ राम मनोहर लोहिया युसूफ मेहर अली एवं अन्य के समाजवादी विचारधारा पर आधारित नहीं है निश्चित रूप से उनकी भी राजनीति पूंजीवादी राजनीति है किंतु आज बिहार में जितनी पार्टी चुनाव लड़ रही है उसमें विकल्प के रूप में प्रशांत किशोर की पार्टी जरूर हैl

