कैबिनेट में 6 दलित,5 मुस्लिम, 8 यादव और 6 सवर्ण बने मंत्री, कायस्थों को मंत्रिमंडल में कोई तवज्जो नहीं  

देश
  • महागठबंधन सरकार में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का खास ध्यान रखा गया
  • राजद ने नीतीश को कमान जरुर सौंपी, मगर मंत्रिमंडल में जदयू से ज्यादा मंत्री

बिहार में एनडीए से नाता तोड़कर नीतीश ने विपक्ष से हाथ मिलाया और नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली। नीतीश कैबिनेट में कुल 31 मंत्रियों ने शपथ ली, जिसमें सबसे ज्यादा यादव समुदाय के मंत्री बने हैं तो दलित-सवर्ण 6-6 मंत्री बनाए गए हैं। पांच मुस्लिम नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। इतना ही नहीं, भूमिहार और राजपूत समुदाय को भी प्रतिनिधित्व सौंपी गई है।

नीतीश कैबिनेट में 31 मंत्री बनाए गए हैं। इस तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ कैबिनेट में कुल 33 सदस्य हो गए हैं। पिछड़े और अतिपिछड़े समुदाय से सबसे ज्यादा 17 मंत्री बनाए गए हैं। इतना ही नहीं दलित-5 और 5 मुस्लिम नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया गया तो सवर्ण जातियों से 6 मंत्री बनाए गए हैं। कैबिनेट विस्तार में जातीय समीकरण के साथ-साथ 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव का खास ख्याल रखा गया है। वहीं कायस्थ समुदाय को मंत्रिमंडल से परहेज रखा गया है। आपको बता दूं कि कायस्थ सबसे सुलझा हुआ शांत प्रवृति का होता है जिसका इसको घाटे का सामना करना पड़ता है। हलांकि इनके नेतृत्व का इतिहास गवाह है। जेपी के शिष्य कहे जाने वाले लालू-नीतीश ने कायस्थ से ही परहेज रखना मुनासिब समझा, हो सकता है इनके समीकरण कुछ और कहते हों।

जेडीयू ने अपने कोटे से मंत्रिमंडल में अतिपिछड़ी जातियों के साथ-साथ सभी समाज को प्रतिनिधित्व देने की कवायद की है तो कांग्रेस ने दलित-मुस्लिम समीकरण का ख्याल रखा है। आरजेडी ने अपने कोर वोटबैंक यादव-मुस्लिम समुदाय का ख्याल रखते हुए ए-टू-जेड की पार्टी होने का भी संदेश दिया है। नीतीश मंत्रिमंडल में सभी जातियों को मौका दिया गया है, लेकिन सबसे ज्यादा फोकस ओबीसी और ईबीसी पर रहा। यादव जाति से सबसे मंत्रिमंडल में शामिल किए हैं। हालांकि, एनडीए सरकार की तुलना में इस बार सवर्ण जातियों का कैबिनेट में कद घटा है तो पिछड़ी जातियों और मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व बढ़ा है।   

नीतीश कैबिनेट के जातीय आधार पर विश्लेषण करें तो सबसे ज्यादा आठ यादव समुदाय से मंत्री बने हैं। जेडीयू कोटे से एक बिजेंद्र प्रसाद यादव मंत्री हैं तो आरजेडी से सात यादव मंत्री बनाए गए हैं। आरजेडी से यादव समुदाय के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, सुरेंद्र यादव, डॉ। रामानंद यादव, चंद्रशेखर यादव, ललित यादव और जितेंद्र राय हैं। 

नीतीश सरकार में मुस्लिम नेताओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है और पांच मंत्री बनाए गए हैं। जेडीयू कोटे से जमा खान मंत्री बनाए गए हैं तो आरजेडी से तीन मुस्लिम मंत्री बने हैं, जिनमें इस्माइल मंसूरी, शमीम अहमद और शाहनवाज आलम को मंत्री बनाया गया है। शाहनवाज आलम ओवैसी की पार्टी छोड़कर आरजेडी में आए हैं। कांग्रेस से आफाक आलम एकलौते मुस्लिम मंत्री बने हैं। 

नीतीश कैबिनेट में दलित प्रतिनिधित्व भी ठीक-ठाक दिया गया है। जेडीयू से अशोक चौधरी और सुनील कुमार को दलित चेहरे के तौर पर शामिल किया गया है। वहीं, आरजेडी से कुमार सर्वजीत और सुरेंद्र कुमार को कैबिनेट में जगह दी गई है। ऐसे ही कांग्रेस से मुरारी लाल गौतम को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन को भी मंत्री बनाया गया है जो महादलित समुदाय के मुसहर जाति से आते हैं। 

नीतीश कैबिनेट में ओबीसी और अतिपिछड़ी जातियों को खास तवज्जो मिली है। 17 मंत्री बनाए गए हैं, जिनमें से आठ यादव समुदाय से हैं और बाकी 11 मंत्री गैर-यादव ओबीसी नेता हैं। जेडीयू कोटे से कुर्मी चेहरे के तौर पर श्रवण कुमार को जगह मिली है तो कोईरी समुदाय से जयंत राज मंत्री बने हैं। ऐसे ही अतिपिछड़ा समुदाय से मदन सहनी, जो निषाद जाति से हैं और शीला मंडल अतिपिछड़ी जाति से हैं। आरजेडी कोटे से अतिपिछड़ी जातियों में अनीता देवी, समीर महासेठ और आलोक मेहता मंत्री बने हैं। 

नीतीश कुमार की कैबिनेट में सवर्ण समुदाय से छह मंत्री बनाए गए हैं। जेडीयू कोटे से विजय चौधरी, जो भूमिहार समुदाय से आते हैं। लेसी सिंह, जो राजपूत हैं और संजय कुमार झा, जो ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। ऐसे ही आरजेडी से भी दो उच्च जातियों के नेताओं को कैबिनेट में जगह दी गई है। आरजेडी से सुधाकर सिंह, जो राजपूत समुदाय से आते हैं और कार्तिक सिंह जो भूमिहार समुदाय से हैं। इसके अलावा निर्दलीय विधायक बने सुमित सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, वो नीतीश कुमार के कोटे से हैं।

कांग्रेस बिहार में पुराने वोट बैंक की तरफ मुड़ती दिख रही है। पार्टी के दो मंत्री में एक मुस्लिम और एक दलित है। मुस्लिम चेहरे के तौर पर आफाक आलम को जगह दी गई है तो दलित प्रतिनिधित्व के रूप में मुरारी लाल गौतम को मंत्री बनाया है। पार्टी पहले भी दलित और मुस्लिम गठजोड़ के जरिए बिहार से लेकर केंद्र में सालों तक राज कर चुकी है। हालांकि, कांग्रेस के पास अभी एक और मंत्री पद है, जिसके जरिए वो किसी दूसरे समुदाय को मौका दे सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *