ताइवान ड्रैगन चीन से आंख मिलाने को तैयार

आलेख

–               मनोज कुमार श्रीवास्तव

अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से बौखलाया चीन बेहद आक्रामक हो गया है।चीन ताइवान को छः तरफ से घेरकर अबतक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास शुरू किया है।इस बीच ताइवान की ओर से कहा गया है कि वह चीन की हर हरकत पर नजर रखे हुए है।ताइवानी रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि हम किसी तरह का तनाव नहीं चाहते।देश ऐसी स्थिति के खिलाफ है, जिससे विवाद पैदा हो।हम जंग नहीं चाहते पर जंग के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।

       चीन अपने छोटे पड़ोसी देश ताइवान की घेराबंदी शुरू कर दी है।चीन ताइवानी समुद्र में अपने सबसे बड़े वारगेम को छेड़ दिया है।ताइवान चीन के मंसूबों को भांप कर अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिकी हथियारों का लगभग 1.34 लाख करोड़ रुपये का जखीरा जमा कर लिया है।ताइवान की यह तैयारी रूस के हमले के बाद से तेज हो गई है।

      ताइवानी नौसेना के पूर्व एडमिरल ली साई.मिन और पूर्व एडमिरल एरिक ली का दावा है कि चीन दशकों से ताइवान पर कब्जे की नियत में है।ताइवान पिछले 10 सालों से चीन से मुकाबले के लिए अपनी सेना को मजबूत करने की कार्रवाई शुरू की है।मिन का कहना है कि चीन पहले मिसाइल अटैक करेगा।और अंत में सेना को उतरेगा।

        ताइवान की जनसंख्या ढाई करोड़ है जो चीन की 140 करोड़ की तुलना में 1.79 % है।जबकि रक्षा बजट 7 % है।ताइवान 2019 में अमेरिका से 64 हजार करोड़ रुपये के 66 एफ-16 फाइटर जेट का दुनिया का सबसे बड़ा खरीद का समझौता किया है।साल 1954,1958 और 1995 में चीन ने ताइवान की जल सीमा में घुसपैठ की कोशिश की लेकिन उसे हार की मुहँ देखनी पड़ी थी।

       चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश बताता है।चीन ताइवान पर कब्जा कर पश्चिमी प्रशांत महासागर में अपना दबदबा दिखाना चाहता है।दुनिया में कुल कम्प्यूटर चिप का 65% निर्माण ताइवान में होता है जिस पर चीन अपना नियंत्रण चाहता है।इससे गुआम और हवाई जैसे अमेरिकी सैन्य बेस के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

      नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात हो गए हैं ।अगर जंग छिड़ती है तो देश-दुनिया पर असर पड़ने स्वभाविक है।भारत भी इससे अछूता नहीं बच सकता।भारत में 70 करोड़ से ज्यादा लोग मोबाईल का प्रयोग करते हैं।20 करोड़ से ज्यादा लोग लैपटॉप और कार का इस्तेमाल करते हैं।यदि ताइवान तनाव में उलझा तो मोबाईल, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल सब पर संकट घर जायेगा।सैंकड़ों कम्पनियों को अरबों का नुकसान होगा।

      उत्तर कोरिया, पाकिस्तान और रूस चीन के समर्थन में है।अमेरिका ताइवान के पक्ष में।अभी ब्रिटेन समर्थन में लग रहा है।आस्ट्रेलिया अभी तटस्थ है जबकि जापान ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।साई इंग वें एक ऐसी महिला नेता है जिनकी वजह से ताइवान उस विकास का सपना देख रहा है जो उसे ताकतवर बनायेगा।वह ऐसी महिला है जिन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बादशाहत को चुनौती दी है।

      ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने ऐसे समय में सत्ता संभाली थी जब उनका पड़ोसी देश की तरह की साजिशों को अंजाम देने में जुटा था।राष्ट्रपति बनते ही वें ने चीन से टक्कर लेने शुरू कर दिया ।दशकों बाद ताइवान को ऐसा नेता मिला है जो लगातार चीन के वर्चस्व की चुनौती दे रहा है।दाद देनी होगी कि ताइवानी राष्ट्रपति की जो कहा है कि चीन दादागिरी कर रहा है लेकिन उनका देश झूकनेवाला नहीं है।

         चीन का कहना है कि वह सेना का प्रयोग करके ताइवान को अपने अधिकार में ले सकता है ।लेकिन इस राष्ट्रपति ने चीन का सपना लगभग चकनाचूर कर दिया है।चीन अमेरिकी नेता के ताइवान जाने पर भड़क उठा है।पेलोसी की यात्रा से भले हीं चीन और अमेरिका के रिश्ते खराब हो गए हैं लेकिन उसने हिन्द प्रशांत के क्षेत्रों में उबाल ला दिया है।

         चीन से लगातार मिल रही धमकियों के बीच साई इंग वेन डटी हुई है और ताइवान के लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है।ये विश्व के शक्तिशाली देश चीन की नींद उड़ा रखी है।हमेशा ताइवान की पहचान पर जोर देती रही है।वेन की तारीफ़ हाल ही में ताइवान के दौरे पर आई अमेरिकी सीनेट की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने भी की थी।

         साल 2016 में साई इंग वेन ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति बनी।पहले कार्यकाल में न्यूनतम मजदूरी, निवेश और शेयर में वृद्धि देखी गई।पहले कार्यकाल में वेन की लोकप्रियता इस कदर बढ़ी की साल 2020 में एक बार फिर प्रचण्ड बहुमत हासिल किया।

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