बिहारः महागठबंधन की सरकार में कायस्थ समाज से मंत्री नहीं बनाने से कायस्थों में नाराजगी

देश

पटना: बिहार में महागठबंधन की सरकार बन गई है। कायस्थ जाति को मंत्री परिषद में भागीदारी नहीं मिलने से इस समाज के लोगों में नाराजगी है।
इधर, लोकतांत्रिक लोक राज्यम पार्टी के संस्थापक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित कुमार चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखा है।
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के पहले अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा थे उसके बाद कई अध्यक्ष बने और उसके पूर्णता के लिए संविधान को पटना लाया गया था उनके हस्ताक्षर के लिए और ये जाति के कायस्थ थे।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र बाबू हो, प्रधानमंत्री के रूप में चर्चित और अर्चित लाल बहादुर शास्त्री हो,या संविधान के प्रथम अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा रहे हो कई नाम ऐसे हैं, जो देश हित में जान दे दिए और उन्हीं कायस्थों जाति में से एक का भी भागीदारी बिहार सरकार में नहीं है ?
लोकतांत्रिक लोक राज्यम पार्टी प्रतिभा का कदर करती है देश हित में कायस्थों के योगदान को सम्मान करती है इसलिए बिहार सरकार और केंद्र सरकार से आग्रह है कि इस
विसंगति-कुसंगति को दूर करें ।

उन्होंने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री सहित अन्य जगहों पर लिखकर सवाल उठाया है

१. क्या बिहार की राजनीति में, कायस्थों का कोई योगदान नहीं है ?

२. क्या बिहार में कायस्थ वोटरों की कोई अहमियत नहीं है ?

३. क्या बिहार को, कायस्थ समाज के लोगों की कोई आवश्यकता नहीं है ?

४. क्या कायस्थों को बिहार विधानसभा और मंत्रिमंडल में शामिल होने का हक नहीं है ?

५. क्या कायस्थों को इस तरह से हर बार अपमानित करना, उपेक्षित रखना सही है ?

  • राजनीति में और सरकार में पुनः अपनी भागीदारी और हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी होगी ।

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