दिल्लीः स्थायी समाधान विकसित करने वाले नवप्रवर्तकों के लिए अपनी तरह के पहले उत्पाद एक्सेलेरेटर कार्यक्रम में चुने गए 15 स्टार्ट-अप शीघ्र ही स्वास्थ्य सेवा और कृषि क्षेत्र में समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करना शुरू कर देंगे।
यह स्टार्ट–अप भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी द्वारा समर्थित एक्सेलेरेटर कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) द्वारा शुरू किए गए निर्माण एक्सेलेरेटर कार्यक्रम (एनआईआरएमएएन एक्सेलेरेटर प्रोग्राम) का पहला समूह है। भारत सरकार इसके लिए अपनी एनआईडीएचआई योजना पोर्टफोलियो के माध्यम से स्वदेशी नवाचारों की उत्पाद विकास यात्रा में आने वाली चुनौतियों को हल करने में मदद करेगी। यह कार्यक्रम आईआईटी कानपुर के एसआईआईसी की दो बहुत ही सफल राष्ट्रीय पहलों- द वेंटीलेटर प्रोजेक्ट और मिशन भारत ओ2 से सर्वोत्तम तरीकों और प्रमुख अंतर्दृष्टि से प्रेरणा लेता है।
इस कार्यक्रम के लिए आवेदन जुलाई 2022 के प्रारंभ में मांगे गए थे और स्टार्टअप्स को कठोर चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया था। इसके बाद स्टार्टअप्स को आगे की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से आवासीय कार्यशालाओं सहित प्रशिक्षण दिया गया था।
इन स्टार्टअप्स के लिए आयोजित पहली 3-दिवसीय आवासीय कार्यशाला ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), आईएसओ, सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) और टीम निर्माण से जुड़े लोकाचार के माध्यम से इन स्टार्टअप्स को स्वास्थ्य तकनीक और कृषि-प्रौद्योगिकी (एग्रीटेक) स्टार्टअप्स के लिए निवेश के अवसरों तथा प्रारंभिक चरण निवेश के स्टार्टअप्स के लिए निजी निवेशकों (एंजल इन्वेस्टर्स) और उद्यम पूंजी निवेश (वेंचर कैपिटल निवेश- वीसी फंडिंग) एवं व्यावसायिक अवसरों की बेहतर समझ प्रदान की। वीसी जैसे ग्रोएक्स, योरनेस्ट जैसे उद्यम पूंजी निवेशकों (वीसीएस), डीएस ग्रुप जैसे कॉरपोरेट्स और प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी), सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) जैसी सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में स्टार्टअप संस्थापकों के साथ अपनी अंतर्दृष्टि और सीखने को साझा किया। कॉहोर्ट के अंतर्गत स्टार्टअप्स को सरकारी एजेंसियों के प्रतिष्ठित वक्ताओं, निजी निवेशकों (एंजल इन्वेस्टर्स) और वेंचर कैपिटल (वीसी) समुदायों और प्रमुख उद्योग के अग्रजों के साथ बातचीत करने का अवसर मिला।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एनईबी डिवीजन की प्रमुख डॉ. अनीता गुप्ता ने देश के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और राष्ट्रीय महत्व के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने वाले स्टार्टअप बनाने में इस कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित किया।
कार्यक्रम की प्रतिक्रिया के बारे में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा कि “निर्माण एक्सेलेरेटर कार्यक्रम से प्रारम्भिक स्वरूप से बाजार तक इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अत्याधुनिक, प्रौद्योगिकी-संचालित नवाचारों को विकसित करने वाले स्टार्टअप की यात्रा में और तेजी आने की सम्भावना है।”
इस समूह को उनके अभिनव समाधानों के माध्यम से भारतीय हार्डवेयर क्षेत्र की प्रासंगिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। त्वरक कार्यक्रम प्रभावी सलाह और बाजार पहुंच के माध्यम से स्टार्ट-अप के व्यापक पोषण और सम्वर्धन को सक्षम करेगा और इसी महीने प्रशिक्षण अवधि के पूरा होने के साथ ही ये स्टार्ट-अप स्वदेशी नवाचारों की दिशा में अपनी यात्रा शुरू करेंगे।