डॉ. सुरेन्द्र सागर
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने और विपक्षी एकता की लहर को बिहार और देश मे आंधी तूफान से आगे बढ़कर सुनामी में बदल देने की तस्वीर इन दिनों पूर्व सांसद आनन्द मोहन के बिहार दौरे में साफ दिखने लगी है।लगभग सोलह सालों बाद जेल से रिहा होकर बाहर निकले आनन्द मोहन को भाजपा ने राजनैतिक रूप से घेरने की जितनी कोशिशें की वह सबके सब भाजपा के लिए घातक साबित हो रही है।भाजपा का एक बड़ा वोट बैंक उसके हाथ से निकलता जा रहा है और उस वोट बैंक को बचा पाना भाजपा के लिए अब सम्भव नही है।पहले सुशील मोदी ने पूर्व सांसद आनन्द मोहन की रिहाई के लिए सरकार से मांग की।डीएम हत्याकांड में आनन्द मोहन की कोई भूमिका नही होने की बात कही।फिर कहा कि जब राजीव गांधी के हत्यारे छूट सकते हैं तो आनन्द मोहन क्यों नही।सुशील मोदी यही नही रुके और कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना आनन्द मोहन के जीवन और परिवार पर भारी पड़ा,उन्हें उस जुर्म की सजा मिली जो उन्होंने किया ही नही था। उन्होंने कहा कि आनन्द मोहन की बूढ़ी मां उनका इंतजार कर रही है।उन्होंने यह मांग न सिर्फ सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों फेसबुक,ट्विटर आदि पर पोस्ट किए बल्कि बिहार के सभी प्रमुख अखबारों में प्रेस रिलीज जारी करके आनन्द मोहन की रिहाई के लिए नीतीश कुमार की सरकार से पहल करने की मांग की।ऐसे भावनात्मक अपील करने के महज कुछ ही दिनों बाद जब आनन्द मोहन की रिहाई हुई तो रिहाई होते ही सुशील मोदी चिल्ला चिल्ला कर रिहाई का विरोध करने लगे।इसे बिहार और देश के लोगों ने देखा।लोग अब कह रहे हैं कि सुशील मोदी का दोहरा चरित्र ही भाजपा का असली चेहरा है जहां सत्ता पाने के लिए षड्यंत्रों का चक्रव्यूह रचा जाता है।सुशील मोदी और उनके प्रायोजित लोगों के दोहरे चरित्र को ही लोगों ने नही देखा बल्कि देश के गृह मंत्री अमित शाह के बयानों को भी लोगों ने सुना।भाजपा का ऐसा चेहरा देख लोग हैरान ही नहीं हुए बल्कि भाजपा को पूर्व में समर्थन करके ठगे हुए भी महसूस करने लगे हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा का नीचे से लेकर ऊपर तक का नेतृत्व अपना असली चेहरा दिखा गया।लोग भाजपा के डपोरशंखी नारों,दोहरे चाल और चरित्र को अब अच्छी तरह समझ गए हैं।यहीं वजह है कि आज आनन्द मोहन के पक्ष में लोगों की हो रही गोलबंदी और भाजपा के खिलाफ तेजी से हो रहे वोटों के ध्रुवीकरण से पटना से लेकर दिल्ली तक बैठे भाजपा नेताओं की नींद उड़ गई है,चैन छीन गए हैं।
आनन्द मोहन जब उत्तराखण्ड समेत कुछ अन्य राज्यों में पहुंचे तो वहां वहां जनसैलाब उमड़ पड़ा।लोग उनका एक झलक पाने और अभिनन्दन करने को बेताब दिखे।बिहार में वे जहां जहां जा रहे हैं अपार जनसमर्थन उमड़ रहा है।सोने चांदी के मुकुट से लेकर फूलों की बरसात के बीच आनन्द मोहन का लोग स्वागत और अभिनन्दन कर रहे हैं।उनके गाड़ियों के लम्बे काफिले और कारवां की गर्मी और धुंए से कमल झुलसने लगा है,मुरझाने लगा है।
इस बीच देश भर के 26 विपक्षी दलों के बड़े नेताओं की बेंगलुरु में चल रही बैठक और इधर बिहार में पूर्व सांसद आनन्द मोहन का तूफानी दौरा बिहार और देश मे विपक्षी एकता को नया आयाम देने जा रहा है।
इस बीच पूर्व सांसद आनन्द मोहन ने कहा है कि बेंगलुरु में चल रही बैठक के दूरगामी परिणाम होंगे।विपक्षी एकता की मजाक उड़ाने वालों के होश उड़ जाएंगे।
उन्होंने कहा है कि एनडीए को पिछले चुनाव में 30-31 प्रतिशत ही मत मिले थे जबकि विपक्ष को 69-70 प्रतिशत मत मिले थे।विपक्षी एकता के बाद इन मतों के बड़े भाग का ध्रुवीकरण होगा और एनडीए ताश के पते की तरह बिखर जाएगी।
राजनैतिक जानकर बताते हैं कि आनन्द मोहन को बिहार और अन्य कई राज्यों में मिल रहे अपार जनसमर्थन के बाद अब स्पष्ट हो गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में आनन्द मोहन की वजह से एनडीए को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।