नीतीश कुमार के नेतृत्व में आम जनता के हितों को ध्यान में रखने वाली सरकार चल रही है। सरकार का प्रमुख लक्ष्य निचले पायदान पर खड़े लोगों की जिंदगी को संवारने का है।
पटना: जनता दल यूनाइटेड के पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि बिहार में गरीबों के हितों को ध्यान में रखकर काम करने वाली सरकार चल रही है। केंद्रीय एजेंसी नीति आयोग ने माना है कि बिहार में गरीबी कम हो रही है। यह साबित करता है कि प्रदेश में गरीबों के हित को ध्यान में रखकर काम करने वाली सरकार सत्ता में है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में आम जनता के हितों को ध्यान में रखने वाली सरकार चल रही है। सरकार का प्रमुख लक्ष्य निचले पायदान पर खड़े लोगों की जिंदगी को संवारने का है। बिहार की सत्ता संभालने के बाद से लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस दिशा में काम किया है। अब उनके काम को राष्ट्रीय स्तर पर भी माना जा रहा है। नीति आयोग ने मान लिया है कि गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट ग्रामीण इलाकों में आई है। मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने हमेशा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ाने की दिशा में काम किया है।
प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि स्वच्छता, पोषण, पेयजल, बिजली जैसे पैमानों पर नीति आयोग की रिपोर्ट आई है। अगर आप पेयजल की बात करें तो बिहार इस दिशा में सबसे पहले और सबसे बेहतर काम करने वाले राज्यों में से एक है। करीब 90 फीसदी घरों तक सरकार ने शुद्ध पेयजल की उपलब्धता कराने में सफलता हासिल की है। हर घर नल के जल की योजना की तारीफ पूरे देश में हुई है। हर घर को नल के जल से जोड़ने की योजना को देखते हुए केंद्र सरकार ने स्वच्छ पेयजलापूर्ति योजना के लिए राष्ट्रीय स्तर पर स्कीम शुरू की है। सीएम नीतीश कुमार भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखते हुए योजना तैयार करते हैं।
प्रो. नंदन ने कहा कि देश में स्वच्छ पेयजलापूर्ति की योजना के ब्रांड एम्बेस्डर तो नीतीश कुमार ही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शहरीकरण की गति को तेज करने की दिशा में लगातार काम किया गया है। शहरों की संख्या में वृद्धि हुई है। प्रदेश में पटना के साथ-साथ अन्य नगरीय इकाइयों में लोगों की सुविधाओं को बढ़ाया गया है। प्रो. नंदन ने कहा कि बिजली क्षेत्र में नीतीश कुमार का काम बेहतरीन रहा है। प्रदेश में बिजली की आपूर्ति को बढ़ाने में काम लगातार काम की है। बिजली उत्पादन से लेकर वितरण तक को बढ़ाया गया है। बिजली की मांग पीक आवर में 6500 से 6600 मेगावाट तक पहुंच रही है। सरकार इसकी आपूर्ति भी कर रही है। इससे साफ है कि प्रदेश में बिजली की सप्लाई को बढ़ाया गया है। बजट की कमी नहीं होने से इन योजनाओं को तेजी से पूरा कराने में मदद मिली है।
प्रो. नंदन ने कहा कि बिहार में गरीबी के दायरे से बाहर निकालने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने जमीनी स्तर पर काम किया। नल का जल योजना को ही ले लीजिए, सरकार ने इस पर 29,245 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए हैं। इसमें पीएचईडी की ओर से 14,091 करोड़ और पंचायती राज विभाग की ओर से करीब 15,154 करोड़ रुपए खर्च किए गए। बिजली की खपत उन्नति का प्रतीक होती है। आप देखेंगे कि बिहार में 2014-15 में हर व्यक्ति करीब 203 मेगावाट बिजली का उपयोग कर रहा था। 2020-21 में यह बढ़कर 350 मेगावाट प्रति व्यक्ति तक पहुंच गई। बिजली की खपत में वृद्धि का असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर दिखा है। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार प्रदेश में लगातार काम कर रही है, लेकिन केंद्र की ओर से बजट एलोकेशन भी जारी नहीं किया जा रहा है। बिहार के विकास की राह में रोड़े डालने के तमाम प्रयासों को नीतीश कुमार शुरुआती दिनों से दूर करते आए हैं। अब डाले जा रहे रोड़ों को भी पार करने में वे सफल होंगे।