- बिहार के किसानों को जैविक खेती का लाभ उठाना चाहिए,इससे आय बढ़ेगा, पोषण भी बेहतर होगा
पटनाः चौथे कृषि रोड मैप का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया उद्घाटन। इस मौके पर उन्होंने अपने संबोधन में कहा- बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर जी , मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव जी, मंत्रीगण, सांसद, विधायकगण, किसान भाईयों-बहनों। देवियों और सज्जनों सभी को मेरा नमस्कार। आज बिहार के चतुर्थ कृषि रोडमैप के शुभारंभ के मौके पर आप सबके बीच उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। राष्ट्रपति के रुप में मेरी भले ही यह पहली यात्रा है लेकिन मैं बिहार और बिहार के लोगों और संस्कृति से भलीभांति परिचित हूं। पड़ोसी राज्य झारखंड मैं छह साल राज्यपाल रही। मैंने बिहार के जीवनशैली और संस्कृति को करीब से जाना है और महसूस भी किया। मेरा गृह राज्य उड़ीसा भी ऐतिहासिक रुप से बिहार से ही जुड़ा हुआ है। इसीलिए मुझे लगता है कि मैं भी अपने आपको बिहार कह सकती हूं।
कृषि बिहार की संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। बटोहिया, विदेशिया से लेकर कटनी और रोपनी गीतों तक कि बिहार की संस्कृति औऱ सभ्यता ने पूरे विश्व में अपनी पहचान बनायी है।
मैंने सुरीनाम की यात्रा के दौरान पुरातन बिहार की झलक को करीब से देखा। विशाल भौगोलिक और दूरी, अलग-अलग टाइम जोन में होने के बाद भी बिहार से गए लोगों ने जहां वो रहते हैं अपनी संस्कृति और परंपरा को संजोए रखा है। बिहार की परंपरा देश की पुरानी परंपराओं में से है। कृषि में आधा कार्यबल लगा हुआ है। इस प्रदेश की उन्नति के लिए कृषि का विकास अत्यंत आवश्यक है। इसके पहले तीन कृषि रोडमैप में कृषि की उत्पादकता दोगुनी हुई है। चौथी रोड मैप में आगामी पांच वर्षों में भूमि की सिंचाई, बीज उत्पादन, पशु स्वास्थ्य प्रबंधन, फसलों के भंडारण पर बल दिया जाएगा। यहां के लोग बिहार के बारे में एक अर्थशास्त्री ने कृषि के लिए सराहना की थी। यहां के लोग आधुनिकता के साथ कृषि को उन्नत बनाने में लगे हुए हैं। भारत का पहला कृषि अनुसंधान पूसा में स्थापित किया गया था। बिहार के किसानों को जैविक खेती का लाभ उठाना चाहिए। इससे आय बढ़ेगा, पोषण भी बेहतर होगा। बिहार सरकार ने गंगा किनारे जैविक कोरिडोर बनाया है। खेती अपशिष्ट, गोबर सभी खेती के लिए बेहतर होता है। कृषि और पशु दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। ग्लोबल वार्मिंग पूरी दुनिया के लिए समस्या का कारण है। हाल के वर्षों में कम बारिश हुई है। नदी और तालाब इस सूबे की पहचान है। इसको बनाए रखने की जरुरत है। वर्तमान में कृषि को बढ़ावा देने के लिए मिट्टी की उर्वरता, पटवन को बेहतर बनाकर संतुलित आहार लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। यहां इथेनाल का उत्पादन किया जा रहा है ,जो एक महत्वपूर्ण कदम है। बिहार आनानास, लीची, आम, बैंगन, गोभी आदि प्रचुर मात्रा में होते हैं। मर्चा धान, शाही लिची, मखाना आदि को जीआई टैग मिला हुआ है। उचित भंडारण, मार्केटिंग आदि बेहतर कर किसानों को और उन्नत बनाया जा सकता है।
बिहार भगवान बुद्ध, अशोक की भूमि है इनलोगों ने मानवता का पाठ पढ़ाया है। आपसे यह उम्मीद की जाती है कि आप उसको बनाए रखें। हमें मानव निर्मित संकृणता से निकालकर ही समेकित विकास किया जा सकता है। बिहार में कृषि रोडमैप का क्रियान्वयन किया जा रहा है। मैं अपना राज्य को बिहार को अपना राज्य मानती हूं। मुझे बिहार के मुख्यमंत्री अक्सर हमें बुलाते हैं इसलिए मैं बीच बीच में आती रहूंगी। मुझे प्रेसिडेंट के बाद अपने गांव जाकर कृषि का कार्य करना है। बिहार हर क्षेत्र में रोड मैप बनाकर काम कर रहा है। बिहार हैपिनेस इंडेक्स पर कार्य कर रहा है, इसलिए विकास कर रहा है।