-आचार्य मोहित पांडेय
किसी ने तुलसी दास जी से पूछा — महाराज ! सम्पूर्ण रामायण का सार क्या है? क्या कोई चौपाई ऐसी है जिसे हम सम्पूर्ण रामायण का सार कह सकते हैं ? तुलसी दास जी ने कहा:-
जहां सुमति तह सम्पत्ति नाना जहां कुमति तहँ विपत्ति आना
जहां सुमति होती है, वहां हर प्रकार की सम्पत्ति, सुख सुविधाएं होती हैं और जहां कुमति होती है, वहां विपत्ति, दुःख और कष्ट पीछा नहीं छोड़ते। सुमति थी अयोध्या में भाई-भाई में प्रेम था, पिता और पुत्र में प्रेम था, राजा प्रजा में प्रेम था, सास-बहू में प्रेम था और मालिक-सेवक में प्रेम था, तो उजड़ी हुई अयोध्या फिर से बस गई ।
कुमति थी लंका में एक भाई ने दूसरे भाई को लात मारकर निकाल दिया। कुमति और अनीति के कारण सोने की लंका राख का ढेर हो गई।