प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन दीपावली का पावन पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष दीपावली 12 नवंबर, रविवार के दिन यानी आज मनाई जाएगी। इस दिन देवी महालक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा से भाग्योदय होता है। दीपावली की रात को महानिशा की रात भी कहा जाता है। कहते हैं कि इस रात्रि देवी महालक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। इस दिन पर जो भी लक्ष्मी जी से धन, वैभव, संपन्नता एवं समृद्धि का आशीर्वाद चाहता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
दीप पर्व पर लक्ष्मी माता की पूजा का महत्व
माता लक्ष्मी धन और संपत्ति की देवी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां लक्ष्मी का संबंध शुक्र ग्रह से बताया गया है, जो कि वैभव, विलासिता एवं सुखी जीवन के परिचायक हैं। मां लक्ष्मी के पूजन से धन की प्राप्ति होती है और भक्तों को धन ही नहीं अपितु नाम और यश भी प्राप्त होता है। पारिवारिक जीवन भी सुंदर होता है। धन की दिक्कत कैसी भी और कितनी ही बड़ी हो क्यों न हो जाए माता लक्ष्मी जी की की पूजा एवं उपासना से किसी भी प्रकार की आर्थिक तंगी दूर हो जाती है।
दीपावली कार्तिक अमावस्या तिथि को मनाई जाती है
इस बार कार्तिक अमावस्या 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 13 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट तक रहेगी।
पूजन का शुभ समय
दीपोत्सव पर लक्ष्मी माता की पूजा के दो शुभ काल हैं। प्रथम शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में है, प्रदोष काल 12 नवंबर को शाम 05.28 बजे से रात 08:07 बजे तक रहेगा, जिसमें वृषभ काल (स्थिर लग्न) 05.39 बजे से 07.33 बजे तक रहेगा। इस अवधि में पूजा करना सर्वोत्तम होगा। यानी लक्ष्मी माता की पूजा एवं उपासना के लिए आपको 1 घंटा 54 मिनट का समय मिलेगा। लक्ष्मी पूजा का दूसरा शुभ समय निशीथ काल में मिलेगा। निशीथ काल 12 नवंबर को रात 11.39 बजे से देर रात 12.32 बजे तक रहेगा।
दीप पर्व पर भगवान श्री गणेश जी की पूजा से लाभ
दीपावली पर भगवान श्री गणेश पूजन से किसी भी प्रकार की बाधा एवं विघ्न दूर होते हैं। गणेश भगवान को विघ्नहर्ता कहा गया है। भगवान विनायक की पूजा से धन लाभ भी होता है। गणेश जी के पूजन से जिन्हें संतान नहीं होता है, उन्हें भी संतान की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही संतान की आयु एवं बुद्धि में वृद्धि होती है। भगवान श्री गणपति के पूजन से संतान को उच्च शिक्षा की प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी माता के पूजा के नियम
माता लक्ष्मी की पूजा के समय श्वेत या गुलाबी वस्त्र धारण करना चाहिए। मां लक्ष्मी के उस मूर्ति की पूजा करनी चाहिए, जिसमें वह गुलाबी कमल के फूल पर विराजमान हों एवं उनके दोनों हाथों से धन वर्षा हो रही हो। देवी महालक्ष्मी को गुलाबी पुष्प विशेषकर गुलाब एवं कमल चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- आचार्य मोहित पाण्डेय, लखनऊ
ज्योतिष विज्ञान एवं भविष्य दर्शन
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