क्यों नहीं थम रहे पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हमले

आलेख

डॉ० आर.के. सिन्हा

पाकिस्तान में बीते रविवार को कराची हवाई अड्डे के पास आत्मघाती हमले में दो चीनी नागरिक मारे गए और कम से कम 10 लोग बुरी तरह घायल हुए हैं। विस्फोट सिंध प्रांत में बिजली परियोजना पर काम कर रहे चीनी इंजीनियरों के काफिले पर निशाना साध कर हुआ था। पृथकतावादी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए), जिसने हाल के वर्षों में पाकिस्तान में विकास परियोजनाओं में शामिल चीनी नागरिकों पर बार-बार हमले किए हैं, ने सार्वजनिक घोषणा करके कहा है कि उसके संगठन ने ही हमला किया है। इसने  कहा कि उसने कराची हवाई अड्डे से आ रहे “चीनी इंजीनियरों और निवेशकों के एक काफिले” को “निशाना बनाया”। यह हमला उस वक्त हुआ है जब पाकिस्तान शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है। इसमें भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भी भाग लेना है। यह भी याद रखा जाए कि चीनियों पर हमला उस वक्त हुआ है जब वहां इंग्लैंड की क्रिकेट टीम टेस्ट मैच खेल रही है।

 जाहिर है, आतंकी हमले के कारण पाकिस्तान का यह दावा तार-तार हो गया है कि वहां हालात सामान्य हैं।

दरअसल पाकिस्तान में चीन के सहयोग से बन रही बहुत सारी विद्युत और अन्य विकास परियोजनाओं में काम करने वाले चीनी इंजीनियरों पर लगातार हो रहे हमले थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। कुछ  महीने पहले पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक जलविद्युत परियोजना पर आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें पांच चीनी नागरिकों की मौत हो गई। इसके बाद चीनी कंपनियों ने कम से कम तीन महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं पर अपना काम रोक दिया है। ये परियोजनाए हैं- दासू बांध, डायमर-बाशा बांध और तारबेला पांचवां एक्सटेंशन। चीनियों पर हमले सिर्फ खैबर पख्तूनख्वा में ही नहीं हो रहे हैं। चीनियों पर हमले बलूचिस्तान और सिंध में भी हो रहे हैं। खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान सटे हुए अफगानिस्तान से। पाकिस्तान   के मीडिया में छपी खबरों पर यकीन करें तो इस साल के पहले तीन महीनों में देश के दो प्रमुख राज्यों क्रमश: खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में बीते साल की इसी अवधि की तुलना में आतंकी और हिंसक वारदातों में 92 और 86 फीसद बढ़ोतरी हुई है।

 कराची में धमाके पर चीनी दूतावास ने कहा कि उनके इंजीनियर चीनी-वित्तपोषित उद्यम पोर्ट क़ासिम पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड का हिस्सा थे, जिसका लक्ष्य कराची के पास पोर्ट क़ासिम में दो कोयला ऊर्जा संयंत्र बनाना थे। पाकिस्तान में हज़ारों चीनी नागरिक विभिन्न परियोजनाओं में काम कर रहे हैं, उनमें से कई बीजिंग की अरबों डॉलर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के हिस्से के रूप में दोनों देशों के बीच एक आर्थिक गलियारा बनाने में शामिल हैं।

बीएलए का दावा है कि बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा हैं, पर स्थानीय लोगों को कुछ नहीं मिल रहा है।

कराची में विस्फोट के बाद पाकिस्तान ने रस्मी अंदाज में कह दिया कि पाकिस्तान सरकार चीनी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। खबरों के मुताबिक,  विस्फोट होते ही कराची के बहुत बड़े भाग के आसमान में घना धुआं छा गया। सारे कराची में दहशत का माहौल व्याप्त है।

पाकिस्तान से आने वाली खबरों से संकेत मिल रहे हैं कि कुछ चीनी नागरिक अपनी जान को खतरा होने के कारण पाकिस्तान छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। पाकिस्तानी सरकार बार-बार अपराधियों को पकड़ने का वादा कर रही है। चीन भी अपने नागरिकों की पुख्ता सुरक्षा की मांग कर रहा है। हालांकि चीनियों पर हमले थम नहीं रहे हैं। चीनी नागरिकों पर हो रहे हमलों के लिए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और इस्लामिक स्टेट-खुरासान को जिम्मेदार माना जाता है। यह तीनों इस्लामिक आतंकी संगठन पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लगभग जंग छेड़े हुए हैं।   टीटीपी भी चीनियों के पीछे हाथ धोकर पड़ा है। हालांकि यह सच है कि चीनी नागरिकों पर होने वाले हमलों की बीएलए ने सबसे अधिक बार जिम्मेदारी ली है, जिसमें बीते मार्च में ग्वादर बंदरगाह के पास एक पाकिस्तानी नौसैनिक हवाई अड्डे पर हमला भी शामिल है। बीएलए ने अप्रैल 2022 में कराची विश्वविद्यालय के कन्फ्यूशियस संस्थान के पास आत्मघाती हमले में तीन चीनी ट्यूटर और एक पाकिस्तानी ड्राइवर की हत्या कर दी थी।

 पाकिस्तान का आतंकवाद का शिकार होना दुखद तो है, पर इसने आतंकवाद को भरपूर खाद-पानी भी दिया है। क्या यह बात सारी दुनिया को नहीं पता। कौन नहीं जानता कि मौलाना अजहर और उनके संगठन जैश ए मोहम्मद को पाक सेना के इशारों पर काम करने वाली खुफिया एजेंसी आईएसआई से मदद मिलती है। जैश भारत का जानी दुश्मन रहा है। जैश सरीखे संगठनों को हमारे पंजाब में आतंकवाद के दौर के बचे हुए गुटों को फिर से खड़ा करने का जिम्मा सौंपा गया है। जैश ए मोहम्मद लश्कर ए तैयबा से ज्यादा खतरनाक और जिद्दी संगठन है। इसका एकमात्र मकसद भारत को हर लिहाज से नुकसान पहुंचाना है। पाकिस्तान में कठमुल्ला खुले तौर पर भारत का विरोध करते हैं, जबकि सेना नेपथ्य में रहकर।

 पाकिस्तान के यह सभी कठमुल्ले पंजाबी मूल के हैं। पाकिस्तान में भारत के मित्रों के लिए स्पेस खत्म हो चुका है। पाकिस्तान में निर्वाचित सरकार पर कठमुल्लों और सेना का दबाव अपने आप में गंभीर मसला है।

 आपके पड़ोस में अराजकता का होना सही नहीं माना जा सकता। इससे आप भी परेशान ही होते हैं। भारत का यह दुर्भाग्य ही है कि पाकिस्तान जैसा घटिया देश उसका पड़ोसी है। इससे तमाम मोर्चो पर डील करना चुनौती तो होती ही है।

दरअसल पाकिस्तान जनता का दुर्भाग्य है कि उन्हें बेहद गैर-जिम्मेदार नेता और गैर-जिम्मेदार सरकार मिलते रहे हैं। ऊपर से करप्ट सेना ने पाकिस्तान को कहीं का नहीं रहने दिया। पिछले साल पाकिस्तान बाढ़ से तबाह हो गया था। तब पाकिस्तान कटोरा लेकर दुनिया से मदद की गुहार लगा रहा था। दूसरी तरफ वह हथियारों का सौदा भी कर रहा था।  बाढ़ के कारण देशभर में 800 से अधिक लोगों के मारे गए थे और लाखों लोग बेघर हो गये थे।  फिलहाल पाकिस्तान कठमुल्लों के आगे बेबस  है। चीनियों पर लगातार हो रहे हमले इस बात की गवाही हैं।

 (लेखक वरिष्ठ संपादकस्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

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