“हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं…”हास्य अभिनेता असरानी का निधन

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श्रद्धांजलि: हास्य अभिनेता असरानी का निधन-एक युग का अंत

“हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं…”
“यह संवाद आज भी भारतीय पॉप कल्चर का हिस्सा है। उन्होंने ‘चुपके चुपके’, ‘बलराज साहनी’, ‘आंधी’, ‘सतरंगी रे’, और कई अन्य फिल्मों में अभिनय किया जो आज भी सिनेमाप्रेमियों की पसंदीदा हैं।”

हिंदी सिनेमा के इतिहास में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो हर दौर के दर्शकों के दिल में अपनी खास जगह बना लेते हैं। अभिनेता गोवर्धन असरानी, जिन्हें दुनिया प्यार से केवल ‘असरानी’ के नाम से जानती थी, ऐसे ही कलाकारों में से एक थे। 20 अक्टूबर 2025 को, 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, और इसी के साथ भारतीय सिनेमा के एक स्वर्णिम अध्याय का अंत हो गया।
असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर, राजस्थान में हुआ। उन्होंने पुणे के प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से अभिनय की पढ़ाई की और 1960 के दशक में बॉलीवुड में कदम रखा। उनके करियर की शुरुआत भले ही छोटी भूमिकाओं से हुई हो, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी विशिष्ट कॉमिक टाइमिंग, चेहरे के हावभाव, और संवाद अदायगी से दर्शकों के बीच अपनी एक अलग पहचान बना ली।
उनका अभिनय केवल हँसी तक सीमित नहीं था; उन्होंने सामाजिक और चरित्र प्रधान भूमिकाएं भी कीं, लेकिन दर्शकों के दिल में वह हास्य अभिनेता के रूप में अमर हो गए।
असरानी ने लगभग 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। उनकी सबसे यादगार भूमिका फिल्म ‘शोले’ (1975) के जेलर की रही, जिसमें उन्होंने संवाद कहा था:
असरानी कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों में पानी भरने के कारण उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती किया गया था। 20 अक्टूबर को उन्होंने अंतिम सांस ली। उसी दिन मुंबई के सांताक्रुज़ स्थित श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार परिवार और करीबी लोगों की उपस्थिति में किया गया।
असरानी का जाना सिर्फ एक अभिनेता का जाना नहीं है, बल्कि हिंदी सिनेमा के हास्य युग का अवसान है। उन्होंने ऐसे समय में हास्य को सम्मानजनक मंच दिया, जब कॉमेडी को अक्सर हल्के स्तर का समझा जाता था। उन्होंने अपने अभिनय से यह सिद्ध किया कि कॉमेडी भी उतनी ही गहराई और प्रभावशाली हो सकती है जितनी कोई गंभीर भूमिका।
बॉलीवुड के कई दिग्गजों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। अभिनेता अक्षय कुमार ने कहा-“असरानी सर, आपने हमें लाखों बार हँसाया। आज आप हमें रुलाकर गए हैं।”
असरानी अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका काम, उनका हास्य, और उनकी उपस्थिति हमेशा जीवित रहेगी। हर उस मुस्कान में जो उनके संवादों और दृश्यों को याद कर के चेहरे पर आ जाती है।

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